उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में पिछले वर्ष एक सत्संग में मची भगदड़ को ‘पूर्व नियोजित’ बताते हुए आरोपियों के वकील ने अदालत में पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र को ‘झूठ का पुलिंदा’ करार दिया।
प्रवचनकर्ता को छोड़कर कार्यक्रम के कुछ प्रमुख आयोजकों को मामले में आरोपी बनाया गया है।
सूरजपाल के कानूनी सलाहकार सिंह ने अदालत में आरोप लगाया कि यह एक ‘पूर्व नियोजित’ भगदड़ थी और उन्होंने दावा किया कि पुलिस द्वारा सूचीबद्ध गवाहों सहित पूरा आरोपपत्र ‘झूठ का पुलिंदा’ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने जल्दबाजी में आरोप पत्र तैयार किया है।
सिंह ने कहा, “हम अदालत के सामने सच्चाई पेश कर रहे हैं और झूठ को उजागर कर रहे हैं।”
वकील ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए पूछा, “मौके पर मौजूद 73 पुलिसकर्मी चुप क्यों रहे? क्या वे नारायण साकर हरि की आध्यात्मिक उपस्थिति और शब्दों से प्रभावित थे, या वे आस्था और श्रद्धा से काम कर रहे थे?”
उन्होंने दावा किया कि अगर इन अधिकारियों ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो ‘षड्यंत्रकारियों द्वारा जहरीले स्प्रे’ के कथित इस्तेमाल को रोका जा सकता था और लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
सिंह से कहा कि नारायण सागर हरि ने कभी नहीं कहा कि चरण राज लेने से लोगों के जीवन में फायदा मिलेगा।
अदालत ने सिंह की दलीलें सुनने के बाद मामले में अगली सुनवाई 30 जून को सूचीबद्ध कर दी।