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हाथरस भगदड़: अदालत ने सुनीं बचाव पक्ष की दलीलें, अगली सुनवाई 21 दिसंबर को

हाथरस की एक अदालत ने इसी साल दो जुलाई को स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ 'भोले बाबा' के...
हाथरस भगदड़: अदालत ने सुनीं बचाव पक्ष की दलीलें, अगली सुनवाई 21 दिसंबर को

हाथरस की एक अदालत ने इसी साल दो जुलाई को स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ 'भोले बाबा' के समागम के बाद मची भगदड़ के मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर मंगलवार को बचाव पक्ष की दलीलें सुनीं।अदालत अब 21 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगी।

भोले बाबा के प्रतिनिधि एवं बचाव पक्ष के वकील ए. पी. सिंह ने बताया कि दो जुलाई को समागम में मची भगदड़ के मामले में पुलिस ने जिला अदालत में 3,200 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था और अदालत में मंगलवार को इसी आरोप पत्र पर बहस हुई।

उन्होंने कहा, ''पुलिस ने आरोप पत्र में 674 गवाहों का हवाला दिया है। मैंने दलील दी कि इस मामले में पीड़ित ही आरोपी हैं और आयोजक भी। उनके लोग ही मरे हैं और वे जेल में हैं। पुलिस अपना पक्ष रखने के साथ-साथ हमारे 11 लोगों (आरोपियों) पर आरोप लगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह झूठ साबित होगा। सच्चाई सामने आएगी और न्याय मिलेगा।''

सिंह ने कहा, ''मामले की सुनवाई जारी है। अब इसी क्रम में आगे की सुनवाई के लिए 21 दिसंबर की तारीख तय की गई है।’’

उन्होंने कहा, "आरोपों पर बहस जारी रहेगी। हमारी बहस जारी रहेगी।"

सिकंदराराऊ इलाके के फुलराई गांव के पास गत दो जुलाई को स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ 'भोले बाबा' के समागम के बाद भगदड़ मच गयी थी। इस घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी।

पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्यों को गायब करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

सरकार ने तीन जुलाई को हाथरस भगदड़ कांड की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था।

पुलिस ने इस मामले में करीब एक दर्जन आयोजकों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार किए गए लोगों में मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर भी शामिल है। सूरजपाल का नाम मामले में आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं है। मगर वह गत 10 अक्टूबर को लखनऊ में एक न्यायिक आयोग के सामने पेश हुए और लगभग ढाई घंटे तक चली पूछताछ में घटना पर अपना बयान दर्ज कराया।

आरोपियों की जमानत की संभावना के बारे में अधिवक्ता सिंह ने कहा कि उनके कुछ मुवक्किलों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है। उन्होंने कहा कि देवप्रकाश मधुकर और कुछ अन्य की जमानत याचिका पर 17 दिसंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और उनका कोई पिछला आपराधिक इतिहास नहीं है, यह भी आरोप पत्र में कहा गया है।

सिंह ने कहा, ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि हमें न्यायालय से न्याय मिलेगा।’’

पुलिस सहित सरकारी एजेंसियों ने कार्यक्रम में कुप्रबंधन के लिए आयोजकों को दोषी ठहराया है। उनका आरोप है कि आयोजकों ने कार्यक्रम में 80 हजार लोगों के आने की सूचना दी थी जबकि मौके पर ढाई लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गयी।

सूरजपाल के वकील ने दावा किया कि ‘‘कुछ अज्ञात लोगों’’ द्वारा ‘‘कुछ जहरीला पदार्थ’’ छिड़कने से भगदड़ मची।

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