असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को घोषणा की कि उनकी सरकार निचली अदालतों पर बोझ कम करने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़े एक लाख 'मामूली मामलों' को वापस लेगी।
उन्होंने राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि और अन्य क्षेत्रों को मजबूत करने के उपायों की भी घोषणा की। गुवाहाटी में 76वें स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए सरमा ने कहा कि राज्य की निचली अदालतों में करीब चार लाख मामले लंबित हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने फैसला किया है कि 14 अगस्त, 2022 की मध्यरात्रि से पहले दर्ज एक लाख छोटे मामलों को वापस ले लिया जाएगा। उन्होंने कहा, "यह न्यायपालिका को बलात्कार और हत्या जैसे अधिक जघन्य अपराधों पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाएगा।"
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि कोई निर्दोष व्यक्ति वकीलों तक पहुंच नहीं होने के कारण जेल में बंद है, तो ऐसे व्यक्तियों की शीघ्र रिहाई सुनिश्चित की जाएगी। असम को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए सरमा ने कहा कि जो लोग अभी भी "संप्रभुता" का सपना देख रहे हैं, उन्हें चर्चा की मेज पर लौटना चाहिए।
उन्होंने उग्रवादी समूहों उल्फा (आई) और एनएससीएन को एक स्पष्ट संदेश में कहा, "संप्रभुता पर समझौता नहीं किया जा सकता है और असम भारत को कभी नहीं छोड़ेगा।" मुख्यमंत्री ने कहा कि शनिवार से राज्य में 'हर घर तिरंगा' कार्यक्रम में जनभागीदारी से हर व्यक्ति के दिल में देशभक्ति की भावना पैदा हुई है। सरमा ने कहा, "पिछले तीन दिनों में लोगों ने तिरंगे के लिए जो प्यार दिखाया, उससे साबित होता है कि असम हमेशा भारत के साथ है।"