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भारत और अमेरिका इस सप्ताह द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू करेंगे, टैरिफ युद्ध के बाद नई उम्मीद

भारत और अमेरिका इस सप्ताह एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर चर्चा शुरू करने वाले...
भारत और अमेरिका इस सप्ताह द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू करेंगे, टैरिफ युद्ध के बाद नई उम्मीद

भारत और अमेरिका इस सप्ताह एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर चर्चा शुरू करने वाले हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित 90 दिनों के टैरिफ युद्ध विराम के बाद यह कदम उठाया गया है, जिससे वैश्विक व्यापार में नई संभावनाएं खुली हैं। दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है, जो मौजूदा 191 बिलियन डॉलर से लगभग ढाई गुना अधिक है। चर्चाएँ वर्चुअल रूप से शुरू होंगी, जबकि एक भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल मई के दूसरे पखवाड़े में अमेरिका का दौरा करेगा।

इस समझौते पर पिछले कुछ महीनों से काम चल रहा है। फरवरी में वाशिंगटन डीसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच बातचीत के बाद दोनों देशों ने इस साल  बीटीए के पहले चरण को अंतिम रूप देने का संकल्प लिया था। भारत के वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, "पारस्परिक टैरिफ दोनों के लिए चुनौती और अवसर दोनों हैं। भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार उदारीकरण का रास्ता चुना है और हम इसे तेजी से आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

9 जुलाई 2025 तक प्रभावी रहने वाले 90 दिन के टैरिफ ठहराव से भारतीय निर्यातकों को बड़ी राहत मिली है। इलेक्ट्रॉनिक्स और रत्न एवं आभूषण जैसे क्षेत्र, जो पहले 26 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ के दबाव में थे, उन्हें इसका लाभ मिलेगा। अब केवल 10 फीसदी मूल टैरिफ लागू है, जिससे भारतीय उद्योगों को राहत मिली है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, "यह ठहराव हमें अमेरिका के साथ मजबूत व्यापार समझौता करने का सुनहरा अवसर देता है। भारत एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर सकता है, खासकर तब जब अमेरिका 125 फीसदी टैरिफ लगाकर चीन पर दबाव बना रहा है।"

भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस प्रक्रिया में सावधानी बरतने और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने की बात कही है। उन्होंने कहा, "हम दबाव में कोई समझौता नहीं करेंगे। समय की कमी हमें तेजी से काम करने के लिए प्रेरित करती है, लेकिन देश और लोगों का हित सर्वोपरि है।" गोयल ने भारत की विशाल जनसंख्या और आर्थिक क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा।

वहीं अमेरिकी पक्ष भी इस समझौते को लेकर उत्साहित है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि भारत, वियतनाम, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ व्यापार वार्ता प्राथमिकता पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से न केवल व्यापार को बढ़ावा मिलेगा बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी भी मजबूत होगी। हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं। बौद्धिक संपदा, डिजिटल व्यापार और गैर-टैरिफ बाधाओं जैसे मुद्दों पर आम सहमति तक पहुंचना जटिल हो सकता है। फिर भी दोनों देशों की सकारात्मक सोच और आपसी सहयोग से यह समझौता वैश्विक व्यापार में एक नया अध्याय लिख सकता है।

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