भारत ने मंगलवार को ओडिशा के गोपालपुर स्थित सीवर्ड फायरिंग रेंज में स्वदेशी और कम लागत वाले काउंटर ड्रोन सिस्टम 'भर्गवास्त्र' का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन चले तीव्र संघर्ष के बाद हुए संघर्षविराम समझौते के कुछ ही दिन बाद हुआ है। भर्गवास्त्र को हार्ड किल मोड में परीक्षण किया गया, जिसमें यह प्रणाली ड्रोन हमलों का त्वरित जवाब देने की क्षमता दिखाती है।
'भर्गवास्त्र' को सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (एसडीएएल) ने डिजाइन और विकसित किया है। यह प्रणाली ड्रोन झुंडों से पैदा हो रहे खतरे से निपटने की दिशा में भारत की एक बड़ी तकनीकी छलांग मानी जा रही है। गोपालपुर में इसके माइक्रो रॉकेट्स का कड़ा परीक्षण किया गया। 13 मई को सेना की एयर डिफेंस शाखा के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में तीन परीक्षण किए गए। पहले दो परीक्षणों में एक-एक रॉकेट दागा गया, जबकि तीसरे में दो रॉकेट सल्वो मोड में महज दो सेकंड के भीतर छोड़े गए। सभी चारों रॉकेटों ने अपेक्षित प्रदर्शन किया और लक्षित मानकों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया।
भर्गवास्त्र सिस्टम को ऐसे समय पर परीक्षण किया गया है जब भारत ने हाल ही में पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्यों और चार करीबी सहयोगियों को मार गिराया था। यह प्रणाली छोटे लेकिन अत्यधिक खतरनाक ड्रोन हमलों के खिलाफ निर्णायक जवाब देने के लिए विकसित की गई है, जिसमें कई ड्रोन को एक साथ टारगेट करने की क्षमता शामिल है।
भर्गवास्त्र एक बहुस्तरीय सुरक्षा प्रणाली है। इसकी पहली परत में बिना दिशा निर्देश वाले माइक्रो रॉकेट होते हैं जो 20 मीटर के दायरे में मारक क्षमता रखते हैं और 2.5 किलोमीटर तक के ड्रोन झुंड को निष्क्रिय कर सकते हैं। दूसरी परत में सटीक लक्ष्यभेदी माइक्रो मिसाइलें होती हैं जिनका सफल परीक्षण पहले ही हो चुका है। इसके अलावा इसमें एक वैकल्पिक सॉफ्ट किल लेयर भी है जो जैमिंग और स्पूफिंग जैसी तकनीकों के जरिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है।
यह प्रणाली 6 से 10 किलोमीटर की रडार रेंज में छोटे हवाई खतरों की पहचान करने में सक्षम है और EO/IR सेंसर से लैस है जो कम रडार क्रॉस सेक्शन वाले ड्रोन को भी पहचान सकते हैं। यह प्रणाली पूरी स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करती है और एक साथ कई खतरों को नष्ट करने की क्षमता रखती है। इसे विभिन्न भू-भागों जैसे ऊंचे पहाड़ी इलाकों में तैनात करने के लिए डिजाइन किया गया है और इसका मॉड्यूलर ढांचा मिशन की जरूरत के अनुसार सेंसर और लॉन्चर को समायोजित करने की सुविधा देता है। 'भर्गवास्त्र' की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी है और भारत की नेटवर्क-केंद्रित युद्ध प्रणाली के साथ पूरी तरह संगत है, जो 'मेक इन इंडिया' और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।