क्वात्रा ने बृहस्पतिवार को सीएनएन को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘22 अप्रैल की घटना सर्वाधिक जघन्य आतंकवादी घटना थी। यह कोई नहीं कह सकता कि इन आतंकवादियों को ऐसे ही जाने देना चाहिए, और हमने परसों यही किया, उन्हें जवाबदेह ठहराया, उन्हें न्याय के कठघरे में खड़ा किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम आतंकवादियों के साथ युद्ध की स्थिति में हैं और जैसा कि मैंने कहा, हम पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे और उन्हें (आतंकियों को) जवाबदेह ठहराएंगे।’’

क्वात्रा ने कहा, ‘‘इसमें हमारा सबसे बड़ा उद्देश्य इन नीच, अमानवीय राक्षसों को जवाबदेह ठहराना और पीड़ितों को न्याय दिलाना है।’’

भारत ने छह और सात मई की रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले के प्रतिशोध में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ स्थानों पर आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए।

पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित चार आतंकवादियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या किए जाने के तथ्य को रेखांकित करते हुए क्वात्रा ने कहा, ‘‘किसी भी दुनिया में आप ऐसे आतंकवादियों को ऐसे ही नहीं जाने देंगे। और यही हमने परसों किया।’’

उन्होंने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस के कई सदस्यों, सीनेटरों से लेकर पूरी दुनिया तक, सभी इस बात को मानते हैं कि भारत को इन आतंकवादियों के खिलाफ जवाब देना चाहिए और पीड़ितों को न्याय दिलाना चाहिए।

क्वात्रा ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान समर्थित चार आतंकवादियों ने एक नेपाली नागरिक सहित 26 नागरिकों की क्रूर, अमानवीय, राक्षसी तरीके से हत्या की।

उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने धर्म के आधार पर ‘‘सभी गैर-मुस्लिमों” की पहचान की और उन्हें मार डाला।

क्वात्रा ने कहा, “इसलिए हमने परसों जो किया, वह अनिवार्य रूप से आतंकवाद के प्रति हमारी प्रतिक्रिया थी।”

उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिक्रिया बहुत ही नपी-तुली, संतुलित रही है।

कश्मीर में सुनाई देने वाले विस्फोटों पर एक सवाल का जवाब देते हुए क्वात्रा ने कहा कि पाकिस्तान ने फिर से आतंकवादियों के साथ खड़े होने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा, “हमें आश्चर्य नहीं होगा अगर वे खुद इसमें शामिल हों, लेकिन पाकिस्तान दुनिया को यही संदेश दे रहा है कि वह आतंकवादियों के साथ है, वह सभ्य दुनिया के बाकी हिस्सों, शेष मानव जाति के साथ नहीं है।’’

पाकिस्तान ने हमलों में शामिल होने से इनकार किया है, इस बारे में पूछे जाने पर क्वात्रा ने कहा कि ‘‘इनकार और अस्पष्टता’’ हमेशा से पाकिस्तान की रणनीति का पहला हिस्सा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘उनकी यह अनूठी विशेषता है कि वे अपने पिछले कार्यों की जिम्मेदारी वर्तमान में नहीं, बल्कि भविष्य में लेते हैं।’’

क्वात्रा ने कहा, ‘‘अमेरिका में 11 सितंबर के हमलों की साजिश रचने वाला ओसामा बिन लादेन कहां मिला था, अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल का हत्यारा या 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के अपराधी कहां मिले?’’

एक सवाल के जवाब में क्वात्रा ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के साथ, ‘‘हमने अपने दृष्टिकोण से, इसे निश्चित रूप से अंतिम रूप दिया था, लेकिन यह जाहिर तौर पर इस बात पर निर्भर था कि पाकिस्तान ने इसे अंतिम रूप दिया है या नहीं। पाकिस्तान ने इसे और आगे बढ़ाने का विकल्प चुना। अब हमारा कर्तव्य है कि हम इसका जवाब दें।’’

उनसे पूछा गया कि दुनिया को इस बात से कितना चिंतित होना चाहिए कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव परमाणु युद्ध में बदल सकता है? इस पर भारतीय राजदूत ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि दुनिया को इस बात से चिंतित होना चाहिए कि पाकिस्तान आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देना जारी रखता है।। और मुझे लगता है कि दुनिया को पाकिस्तान से यही कहना चाहिए - आतंकवाद का समर्थन करना बंद करो।’’

जब क्वात्रा से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि यह स्थिति परमाणु हथियारों से हमले तक पहुंच सकती है, तो उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए आपको पाकिस्तान से पूछना चाहिए।’’