अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 14 देशों को पत्र भेजकर 25 से 40 प्रतिशत तक के पारस्परिक टैरिफ लागू करने की घोषणा की है, जो 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होंगे। इस बीच, भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत जारी है, लेकिन समय सीमा नजदीक आने के साथ अनिश्चितता बनी हुई है। भारत इस टैरिफ से बचने के लिए समय सीमा को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
ट्रंप ने जापान और दक्षिण कोरिया पर 25 प्रतिशत टैरिफ पहले ही लागू कर दिया है, जबकि भारत सहित अन्य देशों के साथ व्यापार वार्ता को अंतिम रूप देने के लिए 1 अगस्त तक का समय दिया गया है। भारतीय अधिकारी पिछले सप्ताह वाशिंगटन में वार्ता के लिए रुके थे, लेकिन कृषि और गैर-टैरिफ बाधाओं जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है। ट्रंप ने कहा, "हम भारत के साथ एक समझौते के करीब हैं, जिसमें कम टैरिफ के साथ व्यापार होगा।"
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में मुख्य अड़चन कृषि क्षेत्र है। अमेरिका भारत से मक्का, सोयाबीन, और जीएम फसलों के लिए बाजार खोलने की मांग कर रहा है, जबकि भारत डेयरी और चावल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में टैरिफ कटौती से इनकार कर रहा है। भारत की औसत टैरिफ दर 17% है, जबकि अमेरिका की 3.3% है, विशेष रूप से कृषि में भारत का टैरिफ 39% तक है। भारत ने ऑटोमोबाइल और कुछ औद्योगिक वस्तुओं पर टैरिफ कम करने की पेशकश की है, लेकिन व्यापक कृषि रियायतों से परहेज किया है।
ट्रंप की नीति के तहत, अमेरिका ने 90 दिनों में 90 व्यापार समझौतों का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक केवल यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम के साथ प्रारंभिक समझौते हुए हैं। भारत के लिए यह समझौता महत्वपूर्ण है, क्योंकि टैरिफ लागू होने से 45 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे पर असर पड़ सकता है। भारतीय व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि एक "मिनी-डील" संभव है, जिसमें सीमित टैरिफ कटौती और रणनीतिक खरीद शामिल हो सकती है।
विवाद के बावजूद, दोनों देश सकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा, "भारत के साथ समझौता जल्द होने की उम्मीद है।" हालांकि, 1 अगस्त की समय सीमा और ट्रंप की सख्त नीति के कारण भारत पर दबाव बढ़ रहा है।