केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पियुष गोयल ने 4 जुलाई 2025 को साफ किया कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को किसी समय सीमा पर हस्ताक्षर नहीं करेगा। न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, गोयल ने कहा, “भारत अपनी शर्तों पर बातचीत करता है। जब समझौता राष्ट्रीय हित में और दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगा, तभी इसे स्वीकार करेंगे।” यह बयान डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 9 जुलाई की समय सीमा से पहले व्यापार समझौते की उम्मीद के बीच आया, जब अमेरिका ने भारत सहित कई देशों पर 26% अतिरिक्त टैरिफ को 90 दिनों के लिए निलंबित किया था।
गोयल ने वाशिंगटन से लौटी भारतीय टीम के साथ चल रही बातचीत का जिक्र किया, जिसकी अगुवाई स्पेशल सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल ने की। भारत कृषि और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में कुछ मुद्दों को सुलझाने पर जोर दे रहा है। अमेरिका इलेक्ट्रिक वाहनों, वाइन, और कृषि उत्पादों जैसे सेब और नट्स पर शुल्क में रियायत चाहता है, जबकि भारत टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, और चमड़ा जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रियायत की मांग कर रहा है।
ट्रम्प ने भारत को “उच्च टैरिफ वाला देश” कहा, लेकिन गोयल ने जोर दिया कि भारत ‘इंडिया फर्स्ट’ और ‘विकसित भारत’ की नीति पर अडिग है। दोनों देश 2030 तक 500 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य (मिशन 500) पर काम कर रहे हैं। 2024 में भारत का अमेरिका के साथ 45.7 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष था।
यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव जेमिसन ग्रीर और वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लट्निक के साथ बातचीत सकारात्मक रही। गोयल ने कहा, “हम समय सीमा के दबाव में समझौता नहीं करेंगे।” भारत ने स्टील और एल्यूमीनियम पर अमेरिकी टैरिफ के जवाब में WTO में जवाबी शुल्क का प्रस्ताव रखा है। यह रुख भारत की मजबूत कूटनीति और आर्थिक हितों की रक्षा को दर्शाता है।