चाहे कोई भी सरकार हो, किसी भी रेलमंत्री का कार्यकाल हो रेल बेपटरी होने से नहीं रूक सकती। बेंगलूरू-एर्नाकुलम इंटर सिटी एक्सप्रेस सुबह छह बजकर पंद्रह मिनट पर पटरी से उतरी तो एक बार रेल सुरक्षा के दावों की फिर पोल खुल गई।
मौजूदा रेलमंत्री सुरेश प्रभु के काम संभालने के बाद आशा बंधी थी कि रेल सुरक्षा के लिए मानक तय किए जाने के साथ-साथ पुख्ता इंतजाम भी किए जाएंगे। लेकिन इस दुर्घटना ने एक बार फिर रेल सुरक्षा की कलई खोल दी है।
रेल सुरक्षा के लिए हर सरकार बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने अब तक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए न कोई ठोस योजनाएं बनाई हैं न किसी और तरीकों पर चर्चा हुई है। नई सरकार के आठ महीने के कार्यकाल में भी इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। नतीजतन यात्री एक और दुर्घटना के साक्षी बने हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार घायलों की संख्या 100से ज्यादा है और 10 यात्रियों की मौत हो गई है। सोलह लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
फौरी तौर पर घायलों के लिए रेलमंत्री ने मुआवजे की घोषणा कर दी है। बंगलूरू -एर्नाकुलम इंटर सिटी एक्सप्रेस बेंगलुरू सिटी-सलेम सेक्शन पर अनेकल रोड एवं होसुर के बीच यह पटरी से उतर गई थी। रेलमंत्री प्रभु ने इस घटना की जिम्मेदारी तय करने के लिए जांच और इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षात्मक कदम उठाने के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि वह हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
रेलमंत्री ने ट्विट किया था कि पटरी पर पहाड़ से अचानक पत्थर लुढ़क कर आ जाने से यह घटना हुई। ईंजन चालक ने भी अधिकारियों को बताया था कि उसने बड़े पत्थर की आवाज सुनी है लेकिन अधिकारियों को वहां कोई पत्थर नहीं मिला है। ही नहीं।
इस बीच रेलवे, पुलिस, दमकल विभाग और राष्ट्रीय आपदा के राहत दल मौके पर पहुंच गए हैं। केंद्रीय कानून मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा को प्रभु ने तुरंत घटनास्थल पर पहुंचने के आदेश दिए हैं।