इन नामी संस्थानों की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाने के पीछे अकादमिक तनाव जैसे कई वजह हैं। सरकार ने आश्वासन दिया कि इस दिशा में सुधारात्मक उपाए किये जा रहे हैं। लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इन संस्थाओं से बीच में पढ़ाई छोड़ने के कारणों में व्यक्तिगत कारण, स्वास्थ्य समस्या, पीजी कोर्स के दौरान नौकरी मिलना और अकादमिक तनाव नहीं झेल पाना आदि शामिल हैं।
लगातार बढ़ रही है ड्राप आउट की संख्या, आईआईटी रूड़की में सबसे ज्यादा
लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2014-15 में 757 छात्रों ने आईआईटी में बीच में पढ़ाई छोड़ी जबकि 2013-14 में यह संख्या 697 और 2012-13 में 606 थी। इस अवधि में आईआईटी रूडकी में सबसे अधिक 228 छात्रों बीच में पढ़ाई छोड़ दी जबकि आईआईटी दिल्ली में 169 और आईआईटी खडगपुर में 209 छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी। 2014-15 में आईआईटी मंडी, जोधपुर, कानपुर, मद्रा और रोपड़ में किसी छात्र ने बीच में पढ़ाई नहीं छोड़ी है।
एनआईटी में सुधरी स्थिति
इसी तरह 2014-15 में 717 छात्रों ने एनआईटी में बीच में पढ़ाई छोड़ी जबकि 2013-14 में यह संख्या 785 और 2012-13 में यह 850 दर्ज की गई थी। गौरतलब है कि देश में 16 आईआईटी और 30 एनआईटी हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि एेसे छात्रों की मदद के लिए एक तंत्र है और सरकार अकादमिक तनाव से जुड़े मुद्दों को दूर करने को प्रतिबद्ध है।