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भारत और अमेरिका के बीच तीसरी 2+2 वार्ता जारी, बीका समझौते पर हो सकते हैं हस्ताक्षर

भारत और अमेरिका के बीच आज यानी मंगलवार को टू प्लस टू वार्ता शुरू हो गई है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और...
भारत और अमेरिका के बीच तीसरी 2+2 वार्ता जारी, बीका समझौते पर हो सकते हैं हस्ताक्षर

भारत और अमेरिका के बीच आज यानी मंगलवार को टू प्लस टू वार्ता शुरू हो गई है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के अपने समकक्षों क्रमश: माइक पोम्पिओ और मार्क एस्पर के साथ तीसरी ‘टू प्लस टू’ वार्ता शुरू की। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच मंगलवार को एक अहम रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। बेसिक एक्‍सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्‍पेशियल कोऑपरेशन (बीका) नाम का यह समझौता दोनों देशों के बीच होने वाले चार अहम रक्षा समझौते की अंतिम कड़ी है जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच सैन्य संबंध और मजबूत हो जाएंगे। यह दोनों देशों के बीच रक्षा एवं रणनीतिक क्षेत्रों से जुड़े बेहद संवेदनशील डाटा को निर्बाध तरीके से साझा करने का रास्ता साफ कर देगा।

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क टी. एस्पर ‘टू प्लस टू’ मंत्री स्तरीय वार्ता के लिए सोमवार को दिल्ली पहुंचे। बता दें कि भारत का चीन के साथ जारी सीमा विवाद और अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों से एक हफ्ते पहले वार्ता के तीसरे संस्करण में हिस्सा लेने दोनों नेता यहां आए हैं। 

अमेरिकी मंत्रियों से मिले जयशंकर और राजनाथ

अमेरिकी मंत्रियों से मिले जयशंकर और राजनाथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका रक्षा सचिव मार्क एस्पर से सोमवार शाम को मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह ने बताया कि मंगलवार (27 अक्टूबर) को होने वाली 2+2 मंत्री-स्तरीय बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच बीका समझौते पर हस्ताक्षर होंगे। वहीं अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच मुलाकात सोमवार को हुई। एस जयशंकर ने दोनों देशों के बीच वैश्विक साझेदारी को आगे ले जाने की बात कही है।

राजनाथ ने कही ये बात

सोमवार को दोनों देशों के मंत्रियों की मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह ने कहा कि यह बैठक दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को व्यापक स्तर पर ले जाने के उद्देश्य से हुई है। 2+2 वार्ता पहले से तय थी, लेकिन, भारत-चीन और अमेरिका-चीन की बीच पैदा हुई ताजा कड़वाहट को देखते हुए इसे चीन की घेराबंदी के तौर पर देखा जा रहा है। जयशंकर ने कहा कि बैठक में दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों की मजबूती पर बात हुई।

पिछले कुछ महीने से अमेरिका कई विवादास्पद मुद्दों को लेकर चीन पर हमले कर रहा है जिसमें भारत के साथ सीमा विवाद, दक्षिण चीन सागर में इसकी सैन्य उग्रता और हांगकांग में सरकार विरोधी प्रदर्शनों से निपटने का तरीका शामिल है। पोम्पियो और एस्पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे।

 

माइक पोम्पिओ बोले- भारत-अमेरिका में कूटनीतिक साझेदारी जरूरी

 

अमेरिकी विदेश मंत्री विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भारत दौरे के पहले दिन की तस्वीरें अपने ट्विटर हैंडल पर साझा की है। माइक पोम्पिओ ने लिखा,' 2+2 बैठक से पहले डॉ. एस जयशंकर के साथ बेहतरीन चर्चा हुई है। हम सहमत हैं कि अमेरिका-भारत की वैश्विक कूटनीतिक साझेदारी दोनों देशों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और पूरी दुनिया की सुरक्षा और समृद्धि अहम है।' माइक पोम्पिओ ने लिखा, दो साल में हो रही इस तीसरी बैठक अमेरिका और भारत के बीच मजबूत साझेदारी का संकेत है।

जानें क्या है टू प्लस टू डायलॉग  

जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि टू प्लस टू वार्ता में दो देशों के दो-दो मंत्री भाग लेते हैं। इस हिसाब से किन्हीं दो देशों के शीर्ष मंत्रियों और उनके समकक्षों के बीच होने वाली वार्ता को टू प्लस टू वार्ता कहते हैं। वार्ता के इस स्वरूप की शुरुआत जापान ने की थी। बाद में दुनिया भर के कई देशों ने बातचीत के इस तरीके को अपनाया। आम तौर पर इस तरह की वार्ताओं का लक्ष्य दो देशों के बीच रक्षा सहयोग के लिए उच्च स्तरीय राजनयिक और राजनीतिक बातचीत को सुविधाजनक बनाना होता है। 

भारत-अमेरिका के बीच पहले भी दो बैठकें हो चुकी हैं। टू प्लस टू डायलॉग की पहली बातचीत सितंबर 2018 में दिल्ली में हुई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी ने भविष्य की ठोस साझेदारी के लिए इस स्तर की बातचीत का आधार तैयार किया था। इसकी दूसरी बातचीत पिछले साल दिसंबर में वाशिंगटन में हुई थी। इन दोनों बैठकों में दोनों देशों ने कम्यूनिकेशन, कंपैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी अरेंजमेंट (कौमकासा) समेत रक्षा व सामरिक क्षेत्र में कई अहम विषयों पर समझौते कर आगे की ठोस साझेदारी की रास्ता तैयार किया था।

जानें बेका क्या है

बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बेका) से भारत मिसाइल हमले के लिए विशेष अमेरिकी डेटा का इस्तेमाल कर सकेगा। इसमें किसी भी क्षेत्र की सटीक भौगोलिक लोकेशन होती है।

 

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