शनिवार को मुजफ्फरनगर के पास उत्कल एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने की वजह से हुए हादसे ने सबको स्तब्ध कर दिया है। रेलवे की लापरवाही से हुई इस दुर्घटना में कम से कम 23 लोगों की मौत हो गई जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए।
इस दुर्घटना ने भारतीय रेलवे को लेकर सवालिया निशान लगा दिया है। अक्सर ऐसे हादसों में जान-माल की भारी क्षति उठानी पड़ रही है। अमूमन ट्रेन दुर्घटना की प्रमुख वजह ट्रैक से उतरना ही रहती है। इन दस सालों में ऐसे हादसों की वजह से 2016-17 में सबसे अधिक मौतें हुई हैं।
31 मार्च 2017 और 11 अगस्त 2017 को राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ें और इंडिया स्पेंड विश्लेषण के मुताबिक, 2016-17 में रेलगाड़ी की पटरी से उतरने से हुई मौतें अब एक दशक में सबसे अधिक है। इस विश्लेषण के मुताबिक, एक साल में 1 9 3 लोगों की मौतें ट्रेन हादसों की वजह से होती है। इस साल मार्च 2017 तक कम से कम 104 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं। इन दुर्घटनाओं में 78 हादसे पटरी से उतरने की वजह से हुए।
भारत में पिछले दस सालों में 1,394 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं। इन दुर्घटनाओं में से, 51% या 708 हादसे रेलगाड़ी पटरी से उतरने की वजह से हुए। पिछले 10 वर्षों में रेलगाड़ी की पटरी से उतरने के कारण 458 लोग मारे गए हैं।
इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मानें तो भारतीय रेल के 1,21 9 रेल लाइन का इस्तेमाल उसके क्षमता से अधिक किया जा चुका है।
19 जुलाई 2017 में लोकसभा के जवाब के अनुसार, 2017 के पहले छः महीनों में 2 9 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 57 लोग मारे गए और 58 घायल हो गए। इनमें से 29 दुर्घटनाओं में, 69% या 20 घटनाएं पटरी से उतरने की वजह से हुई। जिसमें 39 मौतें और 54 लोग घायल हुए।