कोविड 19 संक्रमित एक शख्स की स्थिति बेहद खराब है। उन्हें जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जाना जरूरी है। उनके परिजन लगातार एम्बुलेंस के लिए कॉल पर कॉल किए जा रहे हैं। मगर कोई मदद मिलती दिखाई नहीं दे रही है।..... मौजूदा वक़्त में यह किसी एक व्यक्ति विशेष की आपबीती नहीं है। बल्कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश में इस तरह के हालात आम हो गए हैं। ऐसे ही कुछ दृश्यों को देखने के बाद छत्तीसगढ़ का एक युवक कार को ही एम्बुलेंस की तरह तैयार कर लोगों की सहायता करने में जुट गया। वह अब तक 60 से ज्यादा गंभीर मरीजों को सही वक्त पर अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचा चुका है।
हम बात कर रहे हैं प्रदेश की राजधानी रायपुर में रहने वाले 32 वर्षीय युवक रविन्द्र सिंह क्षत्री की। वे पिछले चार हफ्तों से अपने सहयोगी अरविंद सोनवानी के साथ जरूरतमंद लोगों को अस्पताल पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं वह यह सेवाएं बिल्कुल मुफ्त में दे रहे हैं। कार में उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर, फेस मास्क, फेसशील्ड, सैनिटरी नैपकिन, सैनिटाइजर जैसी जरूरी चीजें भी रखी हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर मरीज को प्राथमिक उपचार भी मिल सके।
आज जब कोविड महामारी के दौर में लोग भय के साए में जी रहे हैं। वहीं इन परिस्थितियों में भी मदद करने का हौसला रखने वाले रविन्द्र का मानना है कि जब डॉक्टर, नर्स, स्वीपर, पुलिस, पत्रकार जैसे फ्रंटलाइन वर्कर अपना काम बखूबी कर रहे हैं। तब हम क्यों लोगों की मदद नहीं कर सकते? उन्होंने कहा कि संकट के समय डर कर बैठने की बजाय जरूरतमन्दों की सहायता करना ज्यादा बेहतर है।
रविन्द्र सिंह क्षत्री और अरविंद सोनवानी
छत्तीसगढ़ में कोविड की दूसरी लहर के बाद यहां की स्थिति खराब होते देखकर रविन्द्र ने फैसला किया कि वे जरूरतमंदों की मदद के लिए कुछ करेंगे। इस दौरान उन्होंने खबरें देखी कि एंबुलेंस नहीं मिल पाने की वजह से मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दे रहे हैं या उनकी स्थिति और बिगड़ जा रही है। लिहाजा उन्होंने एंबुलेंस सेवा शुरू करने का निर्णय लिया। रविन्द्र बताते हैं कि उन्होंने सोशल मीडिया पर इस सर्विस के लिए लोगों से कार उपलब्ध करवाने की अपील की। जिसके बाद रंगोली आर्टिस्ट प्रमोद साहू ने अपनी कार उन्हें दी है। मगर उनके सामने एक और दिक्कत थी कि उन्हें ड्राइविंग नहीं आती है, उन्हें एक और साथी की जरूरत थी जो कार ड्राइव कर सके। तब उनको उनके मित्र अरविंद सोनवानी ने साथ देने की पेशकश की, फिर क्या था दोनों युवक तमाम सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करते हुए बिना देर किए लोगों की मदद के लिए निकल पड़े।
ऐसा नहीं है कि इन दोनों कोरोना योद्धाओं के लिए यह काम आसान है या इनके सामने कोई चुनौतियां नहीं आ रही हैं। बल्कि हर रोज वे बाधाओं से दो दो हाथ कर रहे हैं। रविन्द्र बताते हैं कि किसी जरूरतमंद मरीज को बचाने में उन्हें बहुत मजा आता है। लेकिन कई बार उन्हें कड़वे अनुभवों से भी गुजरना पड़ता है। कई दिन उन्हें भूखा-प्यासा भी रहना पड़ जाता है। क्योंकि सुरक्षा के मद्देनजर खाने-पीने का समान वह कार में रख नहीं सकते। वहीं आम लोग जानकारी के अभाव उनसे दूरी बना लेते हैं और कई दिन पानी भी उन्हें नसीब नहीं होता। हालांकि रविन्द्र कहते हैं, " मैं उन लोगों के भीतर मौजूद डर को समझता हूँ और मैं सकारात्मक पहलुओं पर ज्यादा जोर देना चाहता हूँ। इसीलिए कम ही सही लेकिन अब लोग हमारी सहायता के लिए आगे आ रहे हैं। कार में ईंधन डलवाने से लेकर कई जरूरी वस्तुओं तक की आपूर्ति के लिए लोग मदद कर रहे हैं।"
रविन्द्र सिंह क्षत्री
रविन्द्र लोगों से अपील करते हुए कहते हैं, " इस महामारी के वक़्त हम डॉक्टर, नर्स, पुलिस, पत्रकार जैसे अग्रिम पंक्ति के योद्धा तो नहीं बन सकते लेकिन इन सबको समर्थन दे सकते हैं। इन सबकी हौसला आफजाई कर सकते हैं। सिर्फ एक दूसरे की सहायता के जरिए ही हम कोविड 19 को मात दे सकते हैं।"
जरूरतमंद लोगों के इलाज में सहयोग करने के लिए रविन्द्र सुमित फॉउंडेशन भी चलाते हैं। अब उनकी टीम राजधानी रायपुर के अलावा बिलासपुर, दुर्ग, डौंडीलोहारा और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी लोगों की मदद करने में जुटी हुई है।
रविन्द्र महामारी के खात्मे तक जरूरतमंद लोगों को अपनी सेवाएं देने की इच्छा रखते हैं। वे कहते हैं, "मदद करने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं है। "