लॉ कमीशन ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि शादियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाए। साथ ही इस कानून को सभी धर्मों और समुदायों के लिए लागू किया जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी समुदायों के लिए अलग कानून न बनाकर 1969 के जन्म और मृत्यु पंजीकरण कानून में ही शादी के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान जोड़ दिया जाए।
शादी का ‘आधार’
कमीशन ने सरकार को मैरिज रजिस्ट्रेशन को आधार से लिंक करने पर भी विचार करने की बात कही है। साथ ही रिपोर्ट में शादी के 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाने पर जुर्माने की भी सिफारिश की गई है। इसके लिए जुर्माना अधिकतम 100 रुपये हो सकता है।
ये हैं फायदे
कमीशन ने इस व्यवस्था को लाभकारी बताया है। इसके फायदे गिनाते हुए कमीशन ने कहा है कि-
-इससे पारिवारिक मुकदमों के निपटारे में मदद मिलेगी।
-बाल विवाह पर भी अंकुश लगेगा क्योंकि रजिस्ट्रेशन के दौरान दूल्हा-दुल्हन की उम्र दर्ज करवानी होगी।
इन राज्यों में पहले से है प्रावधान
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक समेत कई राज्यों में पहले ही शादियों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन का कानून बनाया जा चुका है। यहां शादी के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
यूपीए सरकार ने की थी कोशिश
यूपीए सरकार ने अपनी दूसरी पारी में इस तरह का कानून बनाने की कोशिश की थी। इसे राज्यसभा ने अगस्त 2013 में पास भी किया था। लेकिन लोकसभा का कार्यकाल पूरा हो जाने के चलते कानून का रूप नहीं ले पाया था। माना जा रहा है कि अब एनडीए सरकार की ओर से मानसून सत्र में इसे विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा।