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76वें गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुए करीब 10 हजार विशेष अतिथि

गांवों के सरपंच, आपदा राहत कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और पैरालंपिक एथलीट उन लगभग 10,000 विशेष मेहमानों...
76वें गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुए करीब 10 हजार विशेष अतिथि

गांवों के सरपंच, आपदा राहत कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और पैरालंपिक एथलीट उन लगभग 10,000 विशेष मेहमानों में शामिल थे, जो रविवार को यहां कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए।

राष्ट्रीय महत्व के इस आयोजन में जनभागीदारी बढ़ाने के सरकार के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों के विशेष अतिथियों को निमंत्रण भेजा गया था। इनमें वे लोग भी शामिल थे, जिन्होंने सरकारी योजनाओं का बेहतर उपयोग किया।

परेड समारोह में उन सरपंचों को आमंत्रित किया गया था, जिनके गांवों ने कुछ चुनिंदा सरकारी पहलों के लक्ष्य हासिल किए थे। प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा पंचायतों के बीच एक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता की घोषणा की गई थी।

जिन सरपंचों के तहत कम से कम छह प्रमुख योजनाओं से जुड़े लक्ष्य हासिल किए गए, उन्हें विशेष अतिथि के रूप में चुना गया था। शीर्ष प्रदर्शन करने वाले गांवों के 500 से अधिक सरपंच विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित थे।

लगभग 300 आपदा राहत कार्यकर्ता, जीवंत गांवों से 300 मेहमान, 400 जल योद्धा, प्राथमिक कृषि ऋण (पीएसी) समितियों के 200 प्रतिनिधि, ‘पानी समितियों’ के 400 सदस्य, कृषि सखी, उद्योग सखी जैसी 400 लोग और स्वयं सहायता समूहों के 200 सदस्य परेड देखने के लिए आमंत्रित लोगों में शामिल थे।

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) के लगभग 200 प्रशिक्षु, पीएम यशस्वी योजना के 400 पुरस्कार विजेता, 200 वन और वन्यजीव संरक्षण स्वयंसेवक/कार्यकर्ता, 200 हथकरघा कारीगर, 200 हस्तशिल्प कारीगर, विशेष उपलब्धि हासिल करने वाले 500 लोग और विभिन्न योजनाओं के आदिवासी लाभार्थी, 500 आशा कार्यकर्ता, 400 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पैरालंपिक दल और अंतरराष्ट्रीय खेलों के विजेता दल के 200 सदस्य और ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 400 प्रतिभागी भी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे।

अन्य विशिष्ट अतिथियों में लगभग 100 पेटेंट धारक और 100 स्टार्ट-अप के अलावा 300 सड़क निर्माण श्रमिक और सरकारी योजनाओं के लाभार्थी शामिल थे।

‘पीएम सूर्य घर’ योजना और ‘पीएम कुसुम’ के तहत नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाले किसानों और परिवारों को भी पहली बार आमंत्रित किया गया था।

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