आप की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था पीएसी (राजनैतिक मामलों की समिति) को 26 फरवरी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले पत्र लिखकर रामदास ने कहा था कि शीर्ष नेतृत्व के भीतर ही दो खेमे उभरकर आ रहे हैं। उन्होंने पार्टी से कहा था कि वह एक व्यक्ति, एक पद की व्यवस्था पर गौर करे।
इस अनदेखी से नाराज रामदास ने कहा कि वह महाराष्ट्र स्थित अपने गांव से इस बैठक में शामिल होने के लिए आए थे। रामदास का कहन है कि पूर्व में पीएसी से लेकर एनईसी और एनसी तक सभी संस्थाओं में विशेष आमंत्रित जनों (पर्यवेक्षकों) को बुलाया जाता रहा है।
लोकपाल के कार्यकाल के नवीकरण की जरूरत के संदर्भ में रोष व्यक्त करते हुए रामदास ने कहा कि पार्टी ने लोकपाल के रूप में उनके प्रारंभिक कार्यकाल को पहले ही बढ़ा दिया था, जब उनसे वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए नामांकन भरे जाने से पहले उत्तरप्रदेश और हरियाणा के उम्मीदवारों की पहचान एवं विश्वसनीयता की जांच करने के लिए कहा गया था।
रामदास ने कहा, हाल ही में जनवरी 2015 में, दिल्ली विधानसभा चुनावों की दौड़ में, कार्यालय ने मुझे एक बार फिर लगभग 12 चयनित उम्मीदवारों के बारे में प्रशांत भूषण एवं योगेंद्र यादव द्वारा की गई शिकायतों की जांच के लिए कहा था।
मेरे फैसले में, मैंने दो उम्मीदवारों को रद्द किया था और चार को पास कर दिया था। शेष छह लोगों को पार्टी के महासचिव द्वारा चेतावनी देते हुए सशर्त मंजूरी दी गई थी।
वर्ष 2004 में रेमन मेगसेसे पुरस्कार के विजेता रहे रामदास ने कहा कि उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उनकी मौजूदगी से विवाद पैदा होने की आशंका है।
उन्होंने कहा, हैरानी इस बात की है कि विवाद क्यों होगा, किसके साथ होगा और किस बात पर होगा? मैं आप में शामिल होने के लिए तैयार हुआ था- वह भी इसके लोकपाल के बतौर- वह भी तब, जबकि इसके राष्टीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, और पीएसी एवं एनई के सदस्य एवं कानूनी सलाहाकार प्रशांत भूषण की ओर से एक संयुक्त निमंत्रण मिला था।