छात्रों के विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद होने की खबरें मिलने के बाद से परिसर के बाहर कल रात से तैनात पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे बैठक के बाद कुलपति से बात करेंगे और उनसे कहेंगे कि वे छात्रों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहें।
जेएनयू के रजिस्टार भूपेंद्र जुत्शी ने कहा कि उन्हें मीडिया में आई खबरों से पता चला है कि छात्र परिसर में मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनसे अभी तक छात्रों की ओर से कोई बात नहीं की गई है।
उन्होंने कहा, आज सुबह हम बैठक कर रहे हैं, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा होगी और भविष्य की कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा। हालांकि जुत्शी ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया कि कोई कदम उठाने से पहले विश्वविद्यालय के अधिकारी इन पांच छात्रों से बात करेंगे या नहीं। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कुलपति छात्रों से आत्मसमर्पण करने के लिए कहें।
जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष शहला राशिद शोरा ने कहा, वे सभी यहां उस आंदोलन से जुड़ने के लिए हैं, जो कि विश्वविद्यालय को राष्ट्र-विरोधियों का गढ़ करार देने के खिलाफ है। उन्हें कोई समन नहीं जारी किया गया है इसलिए आत्मसमर्पण करने का सवाल ही नहीं उठता है। यदि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करती है तो वे जांच में सहयोग करेंगे।
उमर खालिद समेत जेएनयू के पांच छात्र कल परिसर में सामने आए थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है बल्कि उन्हें एक जाली वीडियो इस्तेमाल करके फंसाया गया। इन छात्रों की पुलिस देशद्रोह के मामले में खोज कर रही है।
छात्रों ने कहा था कि वे आत्मसमर्पण नहीं करेंगे लेकिन पुलिस आकर उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं।
बारह फरवरी को जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद से पांच छात्रा उमर खालिद, अनिरबन भट्टाचार्य, रामा नागा, आशुतोष कुमार और अनंत प्रकाश परिसर से लापता थे। कन्हैया को परिसर में संसद हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के खिलाफ एक आयोजन के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उस आयोजन में कथित तौर पर देश-विरोधी नारे लगाए गए थे।
जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के पीएचडी शोधार्थी आशुतोष के अनुसार, वे जांच में मदद करने की सोच के साथ आए हैं। हमें छात्रों और विश्वभर के अन्य लोगों से जो समर्थन मिला है, उसने हमें लौटने की ताकत दी है। मैं, रामा, अनिरबन और अनंत आसपास ही थे लेकिन भीड़ द्वारा पीटे जाने के माहौल के चलते सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए थे।
उन्होंने कहा था कि उनमें से चार लोग उमर खालिद के संपर्क में नहीं थे और उन्होंने आयोजन के दिन यानी नौ फरवरी को ही आखिरी बार उनसे बात की थी।
आशुतोष ने कहा था कि छात्रा दिल्ली में ही थे और रविवार शाम को लौटने का फैसला सबका निजी तौर पर लिया गया फैसला है न कि संयुक्त रूप से लिया गया फैसला।
उन्होंने कहा था, हमने कुछ भी गलत नहीं किया लेकिन हमें जाली वीडियो का इस्तेमाल करके फंसाया जा रहा था। हम अब कहीं नहीं जाएंगे और विश्वविद्यालय को राष्ट-विरोधी करार दिए जाने के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन का हिस्सा बनेंगे।