देश में इस महामारी के दौर में आपने कई ऐसी-ऐसी चीजें देखीं होंगी जो इनसानियत की सारी हदे पार कर देती है। लोग इस कोरोना काल में इनसानियत खोते जा रहे हैं। कहा जाता है कर्म की पूजा है। ऐसी स्थिति में दिल्ली की अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की एक नर्स ने अपने कर्म से मिसाल पेश कर दी है। हिन्दुस्तान की खबर के अनुसार एम्स की नर्सिंग अधिकारी राखी सॉन को रविवार दोपहर केरल में रहने वाले उनके परिवार का फोन आया कि उनकी दादी की कोरोना से मौत हो गई है। इस खबर से राखी को बहुत बड़ा झटका लगा, लेकिन कुछ घंटों बाद राखी ने खुद को संभाला ।
32 साल की नर्स राखी ने बताया कि जब वह एक साल की थी तब उनकी मां का निधन हो गया था। उसके बाद उनकी दादी ने ही आगे की परवरिश की थी। वह मेरे लिए मां के बराबर है। उनके निधन की खबर के बाद मैं खुद को अनाथ और असहाय महसूस कर रही थी। उन्हें पता था कि कोविड प्रोटोकॉल के कारण उन्हें दादी के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा उन पर बहुत से मरीजों की जिम्मेदारियां हैं। अगर मैं उनकी जान बचा पाती हूं तो यह अम्मा (दादी) को मेरी श्रद्धांजलि होगी।
राखी जॉन मूलतह केरल के तिरुवनंतरुपर की निवासी हैं। वह अपने पति और दो बच्चों से साथ दिल्ली में रहती हैं। राखी बताती हैं कि ऐसी स्थिति में घर नहीं जाने का उनका निर्णय आसान नहीं था। अगर वह घर जाती तो भावनात्मक रूप से टूट जाती। मेरी सबसे ज्यादा जरूरत अभी यहां है। इसीलिए मैंने अपनी ड्यूटी जारी रखने का फैसला किया। मेरी चाची ने अम्मा (दादी) का अंतिम संस्कार वीडियो रिकॉर्ड किया और मुझे दिया। मैंने अभी तक वह नहीं देखा जिससे मै अभी मानसिक रूप से मजबूत रह सकूं। देश में कोरोना की दूसरी लहर है इस बीच हर दिन लाखों लोग पॉजिटिव हो रहे है और हजारों की मौत हो रही है। वहीं कई अन्य डॉक्टर्स, नर्स और स्वास्थ्यकर्मी बिना ब्रेक के ड्यूटी कर रहे हैं।