आसाराम को नाबालिग से रेप केस में उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन क्या आपको पता है आसाराम को सलाखों के पीछे पहुंचाने के पीछे एक पुलिस अफसर को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा?
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, आसाराम केस की जांच वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अजय पाल लांबा के लिए इतनी आसान नहीं रही। मामले की जांच के दौरान अजय पाल लांबा को 2,000 से अधिक धमकी भरी चिट्ठियां और फोन कॉल आते रहे।
अजय पाल लांबा कहते हैं कि 20 अगस्त, 2013 को उनके हांथ में जांच के लिए सौंपा गया यह केस उनके जीवन का सबसे बड़ा केस है। इस केस की जांच इसलिए भी जोखिम भरी रही, क्योंकि आसाराम के अंधभक्त केस के दौरान लगातार गवाहों, पुलिसकर्मियों, मीडिया कर्मियों और जांच अधिकारियों पर जानलेवा हमले करते रहे।
आईपीएस अधिकारी अजय पाल लांबा उस दिन अपने दफ्तर में थे जब दिल्ली की एक टीम एक नाबालिग बच्ची और अपने पिता के साथ उनसे मिलने 21 अगस्त 2013 को पहुंची। लांबा उस वक्त जोधपुर वेस्ट के डेप्युटी कमिश्नर थे। बच्ची ने आसाराम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था।
फिलहाल एंटी करप्शन ब्यूरो में तैनात लांबा बताते हैं कि कैसे पहली बार में उन्हें नाबालिग की बात पर यकीन ही नहीं हुआ था। उन्हें लगा कि शायद आसाराम की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। बाद में उन्हें उस लड़की और उसके परिवार की बात पर विश्वास हुआ।
आसाराम को दोषी करार दिए जाने के बाद लांबा ने बुधवार को फेसबुक पोस्ट कर कहा कि यह देखना सुखद है कि अगर कानून का निष्पक्षता से पालन हो तो कमजोर से कमजोर व्यक्ति आसाराम जैसे ऊंचे रसूख वाले अपराधियों का सामना करने का साहस कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने जांच में अपनी टीम के सहयोगी अधिकारियों की भी तारीफ की और आभ्ाार जताया।