आज देश अपना 70वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। गणतंत्र दिवस की परेड में राजपथ पर ऐतिहासिक डेयरडेविल टीम के तहत असम राइफल्स की एक टुकड़ी की अगुवाई में अदम्य नारी शक्ति का प्रदर्शन देखने को मिला। राजपथ पर पहली बार असम राइफल्स का महिला सैनिकों का दस्ता नजर आया। इसका नेतृत्व मेजर खुशबू कंवर ने किया।
खुशबू हरियाणा के भिवानी जिले की रहने वाली हैं। पहली बार महिला जवानों का 148 सदस्यीय दल गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुआ। असम राइफल्स की स्थापना 1835 में हुई थी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार असम राइफल्स की महिला टुकड़ी गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लिया।
पांच महीने की मेहनत का परिणाम दिखा आज
पहली बार राजपथ परेड में शामिल असम राइफल्स की 148 सदस्यीय दल में दो ऑफिसर, जिनमें मेजर खुशबू कंवर के अलावा कैप्टन रूचि, दो जेसीओ और 144 महिला सैनिक शामिल रहीं। इनका नेतृत्व मेजर खुशबू ने किया। पांच महीने से यह 148 सदस्यीय दल अभ्यास में जुटा था।
परिजन भी हैं उत्साहित
मेजर खुशबू के ससुर कैप्टन महेंद्र सिंह, सास समाजसेविका सुषमा तंवर भी बहु को राजपथ पर असम राइफल्स की महिला टीम का नेतृत्व करते हुए देखकर रोमांचित हैं। गांव की बेटियां भी उन्हें गणतंत्र दिवस समारोह में लाइव देखकर काफी उत्साहित थीं।
देश के सबसे पुराने अर्द्धसैनिक बल असम राइफल्स की टुकड़ी की अगुवाई करने वाली मेजर खुशबू कंवर (30) ने कहा, ‘असम राइफल्स की महिला टुकड़ी की अगुवाई करना मेरे लिए सम्मान और गर्व की बात है। मैं राजस्थान के एक बस कंडक्टर की बेटी हूं और यदि मैं यह दायित्व पूरा कर सकती हूं तो कोई भी लड़की अपना सपना पूरा कर सकती है।’
यह मेरे लिए बहुत बड़ा दिन और बहुत बड़ा मौका व सम्मान है
खुशबू कंवर ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि राजपथ पर राष्ट्रपति को सलामी देना मेरे लिए गर्व की बात है। असम राइफल्स के महिला दस्ते का नेतृत्व करना भी गौरवान्वित करने वाला है। यह मेरे लिए बहुत बड़ा दिन और बहुत बड़ा मौका व सम्मान है। इसके लिए मैं तहेदिल शुक्रिया अदा करती हूं।
मणिपुर के उखरुल में मेजर के पद पर तैनात खुशबू कंवर का जन्म जयपुर में हुआ। अप्रैल 2012 में उन्हें सेना में कमीशन प्राप्त हुआ। अप्रैल 2013 में उनकी शादी भिवानी के गांव इंदीवाली वासी मेजर राहुल तंवर से हुई। मेजर राहुल तंवर को 2010 में सेना में कमीशन प्राप्त हुआ। 2018 में खुशबू कंवर मेजर बनीं। उनके ससुर कैप्टन महेंद्र सिंह तंवर भी सेना से रिटायर्ड है। उनकी सास सुषमा तंवर समाजसेविका हैं। उन्हें ढाई साल की एक बेटी भी है।