प्रधानमंत्री ने अपने आवास पर एकत्रित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे कुछ ही लोग हैं जो निधन के 60 साल बाद भी जन चेतना में अब भी जीवित हैं। उन्होंने कहा कि हम भारत के सामने फिलहाल मौजूद मुद्दों के संदर्भ में जितना अंबेडकर के विचारों को याद करेंगे, हम उनके दृष्टिकोण और समग्रता के उनके रूख का उतना ही अधिक सम्मान करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि सामाजिक न्याय के प्रति उनके योगदान को पहचान मिली है लेकिन उनके आर्थिक विचारों तथा दृष्टिकोण को अब भी पूरी तरह से समझा नहीं गया है और इसकी सराहना होनी चाहिए।
सिक्का जारी करने के अवसर पर पीएम ने कहा कि अंबेडकर एवं भारत के संविधान की इस देश में हमेशा चर्चा होनी चाहिए और 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाना इस दिशा में एक कदम था। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि महिला सशक्तिकरण, भारत के संघीय ढांचे, वित्त एवं शिक्षा जैसे विषयों पर अंबेडकर के नजरिये की प्रशंसा होनी चाहिए। वित्त मंत्री अरूण जेटली और सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्री थावर चंद गहलोत इस मौके पर मौजूद थे।
इससे पहले आज प्रधानमंत्री मोदी ने संसद परिसर लॉन में स्थित अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने ट्विटर पर अंबेडकर की प्रतिमा के साथ अपनी तस्वीर डालते हुए लिखा कि बाबासाहेब अंबेडकर को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    