विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ‘इसमें कोई छिपी हुई मंशा नहीं है और गोपनीयता बनाए रखने को ठोस प्रबंध किए गए हैं। इसका एकमात्र उद्देश्य आम लोगों, गरीबों तक कल्याण योजनाओं का लाभ पहुंचाना है और लीकेज को खत्म करना है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक की संकल्पना पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की है लेकिन तब भी गोपनीयता एवं अन्य विषय उठे। 2009 के बाद से सात वर्ष गुजर गए हैं। इन सभी विषयों पर गंभीरता से विचार किया गया है और विधेयक में चैप्टर 6 जोड़ा गया है जो गोपनीयता से संबंधित है जिसमें संबंधित प्राधिकार से गोपीयता सुनिश्चित करने की बात कही गई है। कुछ डाटा व्यक्ति की सहमति से साझा की जा सकती है लेकिन बायोमेटिक डाटा व्यक्ति की सहमति से भी साझा नहीं की जा सकती है। जेटली ने कहा कि प्राइवेट एजेंसी को भी सूचना लीक नहीं करने का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का मकसद राज्यों को सशक्त बनाना है ताकि वे लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुंचा सके। इस विधेयक पर लगभग आमसहमति है। इसलिए इसे पारित किये जाने की तत्परता है। जेटली ने कहा कि पहले के मसौदे में यह स्पष्ट नहीं था कि हम विशिष्ट पहचान संख्या का क्या कर करेंगे, इस विधेयक में इसे पूरी तरह से स्पष्ट किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार गरीब एवं आम लोगों के कल्याण के लिए सब्सिडी प्रदान करती है। लेकिन अब से कुछ समय पहले तक मेरे जैसा व्यक्ति भी एलपीजी, पेट्रोल सब्सिडी ले सकता था। क्या हमारे जैसे लोगों के लिए सब्सिडी है? वित्त मंत्री ने कहा कि हमने यह पहल की है कि सब्सिडी का लाभ लक्षित लोगों को मिले और जो लोग इसके हकदार नहीं है, उन्हें सब्सिडी न मिले।
विधेयक के धन विधेयक के रूप में पेश किये जाने के बारे में सवाल के बारे में जेटली ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 110 सी में कहा गया है कि जो भारत की संचित निधि से संबंधित हो, वह धन विधेयक होगा। इस बारे में आसन की व्यवस्था होती है। कांग्रेस से विधेयक पारित कराने में सहयोग देने का आग्रह करते हुए जेटली ने कहा कि कांग्रेस कहती है कि इस विधेयक की संकल्पना उसने की, तब भी जिस विधेयक को उसने जन्म दिया, उसे उसका समर्थन करना चाहिए।