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दिल्ली-एनसीआर में फिर भूकंप के झटके, तीव्रता 2.1

दिल्ली में एक बार फिर भूकंप का झटका महसूस किया गया है। सोमवार को आए भूकंप के झटके में रिक्टर स्केल पर...
दिल्ली-एनसीआर में फिर भूकंप के झटके, तीव्रता 2.1

दिल्ली में एक बार फिर भूकंप का झटका महसूस किया गया है। सोमवार को आए भूकंप के झटके में रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.1 रही। फिलहाल, किसी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। इससे पहले 5 जून को झारखंड के जमशेदपुर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिसकी तीव्रता 4.1 थी।

सोमवार दोपहर 2.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसका केंद्र हरियाणा के गुरुग्राम में बताया जा रहा है।

12 अप्रैल से अब तक 14 झटके

दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटकों की शुरुआत 12 अप्रैल (3.5 तीव्रता) से हुई। तब से अबतक अलग-अलग दिन 14 बार झटके लग चुके हैं। बीते कुछ दिनों में दिल्ली-एनसीआर में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। 3 जून को रात में नोएडा में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.2 थी। इससे पहले 29 मई को भी दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

विशेषज्ञों की मिली जुली राय

भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण के पूर्व एडीशनल डायरेक्टर जनरल और भूकंप विशेषज्ञ डा. प्रभास पांडे कहते हैं कि भूकंप के कई हल्के झटकों ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। कुछ भूकंप विज्ञानी सतर्कतापूर्वक आशंका जताते हैं कि ये झटके आसपास के क्षेत्र में बड़े भूकंप से पहले के हो सकते हैं। ये सभी झटके बहुत कम गहराई (10 किलोमीटर से कम) से आए हैं। इससे संकेत हैं कि पृथ्वी की सिर्फ ऊपरी सतह में ही टेक्टोनिक प्लेट खिसक रही है।

आम लोगों की चिंताओं से सहमति जताते हुए डा. पांडे कहते हैं कि सतह के निकट की गतिविधियों से उन्हें लगता है कि जमीन के अंतर का दबाव बार-बार निकल रहा है। लेकिन यह गहराई वाली सतहों में प्लेट के खिसकने का दबाव नहीं है। इसलिए यह बड़े भूकंप का संकेत नहीं है। हालांकि यह अनुमान आशावादी सोच पर ज्यादा आधारित है। वह इस तरह की कोई भविष्यवाणी करने से बचते हैं।

भूगर्भीय गतिविधियां भूकंप के संकेतः विशेषज्ञ

लेकिन डा. पांडे की तरह सभी विशेषज्ञ आशावादी नहीं है। कुछ विशेषज्ञ तो चेतावनी देते हैं कि इस क्षेत्र में प्रलयंकारी भूकंप आ सकता है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के प्रमुख डा. कलाचंद सैन ने पिछले दिनों कहा कि हम समय, स्थान और तीव्रता के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं। लेकिन हमें लगता है कि दिल्ली एनसीआर में लगातार जो भूगर्भीय गतिविधियां हो रही हैं, उससे यहां बड़े भूकंप के संकेत मिल रहे हैं।

दिल्ली एनसीआर खतरे के लिहाज से जोन-4 में

किसी चक्रवाती तूफान या फिर हरीकेन को रडार या सैटेलाइट पर देखा जा सकता है और लोगों को उसके खतरे के प्रति आगाह किया जा सकता है। लेकिन भूकंप के बारे में ऐसा नहीं है। वह पहले दिखाई नहीं देता है। आसान भाषा में कहें तो पृथ्वी की सतह (लिथोस्फीयर) लगातार सक्रिय रहत है। पृथ्वी के कोर यानी मध्य भाग से पिघली चट्टानें ऊपर की ओर धक्का मारती हैं। इसकी ऊर्जा से टेक्टोनिक प्लेटों पर दबाव बनता है। यह सभी जानते हैं कि उप महाद्वीप ग्रेड इंडियन प्लेट पर स्थित है। यह प्लेट उत्तर की ओर बढ़ रही है और हिमालय और हिंदूकुश से टकरा रही है। प्लेटों के टकराव से चट्टानों में दरारें आती हैं। इसके कारण भूकंप आ सकता है। हिमालय के निकट होने के कारण उत्तरी भारत के बड़े भाग और नेपाल  में भूकंप का खतरा बना रहता है। पिछले 86 वर्षों में भारत में कई बड़े भूकंप तबाही ला चुके हैं। दिल्ली एनसीआर की अहमियत और भूकंप की संभावनाओं को देखते हुए इस क्षेत्र को जोन-4 में रखा गया है। जोन-5 में सबसे ज्यादा खतरा माना जाता है।

दिल्ली एनसीआर में भूकंप आता है तो वह भारी नुकसान वाला साबित हो सकतेहैं। दिल्ली डवलपमेंट अथॉरिटी के पूर्व वाइस चेयरमैन बलविंदर कुमार के अनुसार, पुरानी दिल्ली, महरौली और छत्तरपुर में अवैध कॉलोनियां हैं। 100-20 गज के प्लॉट में सात-आठ मंजिला इमारतें किसी नियमन के बिना ही बनी हैं। अगर भूकंप आता है तो कल्पना कर सकते हैं कि कितनी तबाही होगी।

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