सीबीआई ने गुरुवार को एंट्रिक्स-देवास सौदा मामले में चार्जशीट दाखिल करते हुए इसरो के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को आरोपी बनाया है। एंट्रिक्स इसरो की व्यावसायिक इकाई है और देवास एक निजी मल्टीमीडिया कंपनी। इन दोनों के बीच साल 2005 में हुए एक करार के तहत दुर्लभ एस-बैंड की फ्रीक्वेंसी में से कुछ भाग एंट्रिक्स द्वारा देवास को देना था जिससे वो मल्टीमीडिया डिजिटल सर्विस दे सके। आरोप है कि इस करार के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और उसमें कई खामियां भी थीं।
जिस समय एंट्रिक्स और देवास के बीच ये करार हुआ उस वक्त जी माधवन नायर इसरो के चेयरमैन थे।आरोप पत्र में नायर के अलावा एंट्रिक्स के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक के आर श्रीधर मूर्ति, फोर्ज एडवाइजर्स के पूर्व प्रबंध निदेशक एवं देवास के सीईओ रामचंद्र विश्वनाथन और देवास के तत्कालीन निदेशक एम जी चंद्रशेखर के नाम शामिल हैं। विशेष अदालत में दायर आरोप पत्र में अंतरिक्ष विभाग के पूर्व अवर सचिव वीणा एस राव, इसरो के तत्कालीन निदेशक ए भास्कर नारायण राव एवं देवास मल्टीमीडिया के दो निदेशकों डी वेणुगोपाल एवं एम उमेश के नाम भी शामिल किए गए हैं।
सीबीआई ने इन सभी पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के विशेष प्रावधानों और भारतीय दंड संहिता की धोखाधड़ी संबंधी विभिन्न धाराओं के तहत अपराध करने के आरोप लगाए हैंं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने आधिकारिक पदों का दुरपयोग करके स्वयं एवं अन्यों को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से रचे गए आपराधिक षड़यंत्र में भूमिका निभाई। यह आरोप पत्र दर्ज किए जाने से एक महीने पहले ही अंतरराष्ट्रीय पंचाट ने एंट्रिक्स द्वारा देवास के साथ करार रद्द किए जाने के मध्यस्थता मामले में भारत के खिलाफ फैसला सुनाया था जिससे भारत को लाखों डाॅलर का मुआवजा देना पड़ सकता है।