31 मई को एनजीटी के आदेश के बाद श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग ने पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क के बचे 4 करोड़ 75 लाख रुपए ड्राफ्ट के जरिए डीडीए को अदा कर दिए। इसके लिए एनजीटी ने 7 दिनों की मोहलत दी थी। साथ ही आवेदन लगाने से हुए वक्त की बर्बादी के लिए 5000 रुपये का जुर्माना भी ठोका था।
दिल्ली में मयूर विहार के पास यमुना किनारे इस साल 11 से 13 मार्च के बीच हुए विश्व संस्कृति महोत्सव से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा था। जिसको ध्यान में रखते हुए यह हर्जाना लगाया था। जुर्माने की बाकी की रकम आयेाजन खतम होने के तीन हफ्तों में अदा करनी थी। जिसको लेकर आर्ट आफ लिविंग ने अंडरटेकिंग दी थी, लेकिन कार्यक्रम समाप्त होने के बाद एओएल ने इस रकम को बैंक गारंटी के तौर पर अदा करने की अर्जी लगा दी, जिसे एनजीटी ने 31 मई को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि अब आप मुकर रहे हैं और ऐसे में आपकी मंशा पर सवाल उठता है। श्री श्री रविशंकर ने साफ कहा है कि उन्होंने किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलाया है, इसलिए वे न्याय के लिए अंत तक लड़ाई जारी रखेंगे।