अयोध्या मामले को लेकर काफी समय से चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्यस्थता का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए तीन सदस्यीय पैनल का भी गठन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पैनल में जस्टिस एफएम खलीफुल्ला, धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू शामिल किया है। इस पैनल की अध्यक्षता जस्टिस खलीफुल्ला करेंगे। साथ ही कोर्ट ने इस पैनल को चार हफ्ते में मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा गया है जबकि इसे आठ हफ्ते में खत्म करने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केस की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक लगा दी है।
तो आइए जानते हैं कौन हैं वो तीन लोग जिन पर भरोसा दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए बने पैनल में उनका नाम शामिल किया है-
जस्टिस फकीर मोहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला
सबसे पहले बताते हैं पैनल के अध्यक्ष जस्टिस फकीर मोहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला के बारे में, जो तमिलनाडु के रहने वाले हैं। जस्टिस खलीफुल्ला सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हैं। वे उस बेंच का हिस्सा थे जिसने बीसीसीआई के मैनेजमेंट, स्ट्रक्चर और काम करने के तरीके के लिए बड़े बदलाव लाने का आदेश दिया था। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया को पारदर्शी बनाने की प्रक्रिया में उन्होंने जस्टिस लोढ़ा के साथ मिलकर काफी काम किया।
- इसके अलावा उन्होंने जम्मू-कश्मीर में कानूनी सहायता के लिए लीगल ऐड क्लीनिक की स्थापना की, जिससे राज्य के लोगों में कानून को लेकर विश्वास पैदा हो सके।
- जस्टिस खलीफुल्लाह ने 1975 में पहली बार वकालत शुरू की थी। साल 2000 में खलीफुल्ला मद्रास हाई कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किए गए। उसके बाद 2011 में, वह जम्मू-कश्मीर के हाई कोर्ट के सदस्य बने और उन्हें दो महीने बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
- साल 2011 में, वो जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. उसके बाद साल 2012 में वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। जस्टिस खलीफुल्ला 22 जुलाई 2016 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए।
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए श्री श्री रविशंकर का नाम भी दिया है। श्री श्री रविशंकर आध्यात्मिक गुरु है, जिनकी संस्था का नाम आर्ट ऑफ लिविंग है। श्री श्री रविशंकर ने अभी हाल ही में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद को लेकर एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, अयोध्या विवाद का अगर जल्द हल नहीं निकला तो भारत भी सीरिया बन जाएगा। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि अयोध्या मुसलमानों का धार्मिक स्थल नहीं है, उन्हें इस पर से अपना दावा छोड़कर एक मिसाल पेश करनी चाहिए। वैसे भी इस्लाम विवादित जमीन पर इबादत करने की इजाजत नहीं देता।
उन्होंने कहा कि फैसला कोर्ट से आया तो भी कोई राजी नहीं होगा। अगर फैसला कोर्ट से होगा तो किसी एक पक्ष को हार स्वीकार करनी पड़ेगी। ऐसे हालात में हारा हुआ पक्ष अभी तो मान जाएगा, लेकिन कुछ समय बाद फिर बवाल शुरू होगा। जो समाज के लिए अच्छा नहीं होगा।
- श्री श्री रविशंकर का जन्म तमिलनाडु राज्य में 13 मई 1956 को हुआ था। उनके पिता का नाम व वेंकट रत्नम् था जो भाषाकोविद् थे और उनकी माता विशालाक्षी एक साधारण महिला थीं। आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेते हुए उनके पिता ने उनका नाम ‘रविशंकर’ रखा था।
- रविशंकर शुरू से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। मात्र चार साल की उम्र में वे श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे। बचपन में ही उन्होंने ध्यान करना शुरू कर दिया था। ऐसा बताया जाता है कि श्री श्री रविशंकर ने 17 वर्ष की उम्र में ही फीजिक्स में अग्रिम डिग्री ले ली थी।
वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू
श्रीराम पांचू एक सीनियर वकील है और जाने माने मध्यस्थ हैं। वह द मेडिएशन चेम्बर्स के संस्थापक हैं, जो मध्यस्थता की सेवाएं देता है। इसके अलावा वो भारतीय मध्यस्थों के संघ के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान (IMI) के बोर्ड में डायरेक्टर भी हैं।
- पांचू ने 2005 में भारत का पहला कोर्ट-एनेक्स मध्यस्थता सेंटर बनाया था। उन्होंने मध्यस्थता को भारत की कानूनी प्रणाली का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- पांचू कंस्ट्रक्शन और प्रॉपर्टी डेवलपमेंट, प्रॉपर्टी विवाद, फैमिली बिजनेस इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी विवाद का हल निकालने में माहिर जाने जाते हैं।