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बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: विशेष न्यायाधीश ने सुनवाई पूरी करने के लिए 6 महीने का समय मांगा

अयोध्या का विवादित ढांचा ढहाने की साजिश के मामले में सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ने मुकदमे को पूरा...
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: विशेष न्यायाधीश ने सुनवाई पूरी करने के लिए 6 महीने का समय मांगा

अयोध्या का विवादित ढांचा ढहाने की साजिश के मामले में सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ने मुकदमे को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से छह महीने का समय मांगा है।

विशेष न्यायाधीश ने मई में लिखे एक पत्र में शीर्ष अदालत को सूचित किया है कि वह 30 सितंबर, 2019 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

यह मामला सोमवार को न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि सीबीआई जज एसके यादव के कार्यकाल को कैसे बढ़ाया जा सकता है? उत्तर प्रदेश सरकार को शुक्रवार तक बताना है कि इसको लेकर कानूनी प्रावधान क्या हैं? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कहा कि सीबीआई जज एसके यादव जब तक फैसला नहीं देते, तब तक उन्हें रिटायर न किया जाए इसके लिए क्या किया जा सकता है? 

19 अप्रैल, 2017 को शीर्ष अदालत ने मामले में दो साल में रोजाना सुनवाई करके मुकदमे को पूरा करने का आदेश दिया था।

क्या है मामला 

बता दें कि बाबरी मस्जिद गिराने की साजिश के ट्रायल मामले में सीबीआई जज की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल की सुनवाई कर रहे सीबीआई  जज से पूछा था कि वो किस तरीके से मुकदमे को तय वक्त में पूरा करेंगे। अदालत ने सील कवर लिफाफे में जानकारी देने को कहा था। 19 अप्रैल 2017 को दो साल में मुकदमा पूरा करने के आदेश दिए गए थे। कोर्ट ने जज की अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया था। सीबीआई कोर्ट में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 12 आरोपियों पर आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चल रहा है।

मध्यस्थता नाकाम होने पर सुप्रीम कोर्ट हर दिन सुनवाई शुरू कर सकता है

दूसरी ओर इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले पक्षों में से एक की तरफ से दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा कि अयोध्या विवाद में अगर मध्यस्थता नाकाम हो जाती है, तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर हर दिन सुनवाई शुरू कर सकता है। मध्यस्थता प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं होने की बात कहते हुए मामले को सूचीबद्ध करने के लिए गोपाल सिंह विशारद ने मंगलवार को शीर्ष अदालत में अर्जी दी थी।

विशारद के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस.नरसिम्हा ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। हिंदू दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने कहा कि यह विवाद पिछले 69 सालों से अटका पड़ा है और मामले को हल करने के लिए शुरू की गई मध्यस्थता का रुख सकारात्मक नजर नहीं आ रहा है।

 

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