उनका इलाज लखनऊ के केजीएमयू से चल रहा था। वही पैर में चोट लगने के कारण चलने फिरने में भी असमर्थ थे। जिसके कारण बीते कई महीने से वह ज्यादातर समय अपने आवास पर ही रह रहे थे ।
उनके निधन पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने शोक जताया है। उन्होंने परिजनों को सांत्वना दी है। साल 2014 में बाबरी मस्जिद मुद्दे के राजनीतिकरण से वे नाराज हो गए थे। उन्होंने कहा था कि अब रामलला को वह आजाद देखना चाहते हैं। वह अब किसी भी कीमत पर बाबरी मस्जिद के मुकदमे की पैरवी नहीं करेंगे। छह दिसंबर को काला दिवस जैसे किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे।
उन्होंने कहा था कि बाबरी मस्जिद के लिए एक्शन कमेटी बनी थी, लेकिन आजम खान के उसके संयाेजक बनने के बाद हम लोग पीछे हो गए। हाशिम ने कहा था कि मुकदमा हम लड़ें और राजनीति का फायदा आजम खान उठाएं। इसलिए मैं अब बाबरी मस्जिद मुकदमे की पैरवी नहीं करूंगा। इसकी पैरवी आजम खान करें। बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी के मनाने पर बाद में बाबरी मुकदमे की पैरवी करने लगे थे। एजेंसी