सरकारी सूत्रों ने बताया, अपाशे और शिनूक (हेलीकॉप्टरों) को मंजूरी दी गई। रक्षा क्षेत्र से जुड़े अनेक लोगों को उम्मीद थी कि 2013 में लागत वार्ता को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ढाई अरब डॉलर से ज्यादा मूल्य के इस सौदे पर इस साल जून में अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर की यात्रा के दौरान दस्तखत हो जाएंगे मगर तब यह नहीं हो पाया।
अपाशे का यह सौदा हाइब्रिड है और इसमें हेलीकॉप्टर के लिए एक करार पर बोइंग के साथ दस्तखत किए जाएंगे जबकि उसके हथियारों, रेडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरणों के लिए अमेरिका सरकार के साथ दस्तखत किए जाएंगे। अमेरिका इसके करार पर जोर दे रहा था क्योंकि यह भारत के बढ़ते रक्षा बाजार में अमेरिकी मौजूदगी को और मजबूत करेगा। पिछले एक दशक के दौरान अमेरिकी कंपनियों ने तकरीबन 10 अरब डॉलर मूल्य के रक्षा करार हासिल किए हैं। इनमें पी-81 नौवहन टोही विमान, सी-130जे सुपर हरक्यूलियस और सी-17 ग्लोबमास्टर-3 जैसे विमानों के करार शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने कल अमेरिका रवाना होंगे। हेलीकॉप्टर सौदा अमेरिकी पक्ष की तरफ से 10 मूल्य समीक्षाओं से गुजरा है। करार में 11 और अपाशे तथा चार अतिरिक्त शिनूक हेलीकॉप्टरों की खरीदारी के लिए फॉलो-ऑन ऑर्डर पेश करने की गुंजाइश देने के लिए अनुच्छेद होंगे। अपाशे और शिनूक दोनों ही प्लेटफॉर्म का उपयोग अफगानिस्तान और इराक में युद्धक अभियानों में किया गया है। रूस ने अपना एमआई-28एन नाईट हंटर और एमआई-26 हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर की पेशकश की थी लेकिन अमेरिकी हेलीकॉप्टरों ने उन्हें चित कर दिया।
अमेरिका की तरफ से मिलने वाला अपाशे एएच 64डी लांगबो हेलीकॉप्टर सर्वाधिक आधुनिक मल्टी-रोल युद्धक हेलीकॉप्टर है। इसमें हर मौसम में रात में युद्धक अभियान संचालित करने की विशिष्टता है। यह एक मिनट से कम समय में 128 लक्ष्यों तक को चिन्हित कर सकता है और 16 लक्ष्यों पर निशाना साध सकता है और बचाव कर सकता है। इसके अतिरिक्त, इसमें दुश्मन के रेडार से बच कर निकल जाने की क्षमता है। इसके सेंसर आधुनिक हैं और इसकी मिसाइलें दृश्य प्रकाश क्षेत्र से आगे की रोशनी में काम करती हैं। भारत हेलफायर मिसाइलें और राकेट भी हासिल करने वाला है।