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पीएम मोदी बोले, रत्‍ती-रत्‍ती विकास से काम नहीं चलेगा, तीव्र परिवर्तन करने होंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के तीव्र परिवर्तन के बारे में विचार प्रकट करते हुए शुक्रवार को कहा कि इसके लिए देश को कानूनों में बदलाव, अनावश्यक औपचारिकताओं को समाप्त करने और प्रक्रियाओं को तीव्र करने की आवश्यकता है क्यों कि केवल रत्ती-रत्ती प्रगति से काम नहीं चलेगा। मोदी ने नीति आयोग की ओर से यहां आयोजित भारत परिवर्तन विषय पर पहला व्याख्यान देते हुए कहा कि यदि भारत को परिवर्तन की चुनौतियों से निपटना है तो केवल थोड़ा-थोड़ा आगे बढने से काम नहीं चलेगा। आवश्यकता कायाकल्प की है। इसलिए देश के संबंध में मेरा विचार है कि यहां तीव्र परिवर्तन होने चाहिए।
पीएम मोदी बोले, रत्‍ती-रत्‍ती विकास से काम नहीं चलेगा, तीव्र परिवर्तन करने होंगे

 

राज-काज में बदलाव के जरिए परिवर्तन लाने की जरूरत पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि यह काम 19वीं सदी की प्रशासनिक प्रणाली के साथ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, राज-काज बदलाव मानसिकता में बदलाव के बिना नहीं हो सकता और मानसिकता में बदलाव तब तक नहीं होगा जब तक की विचार परिवर्तनकारी न हों। मोदी ने कहा, हमें कानूनों में बदलाव करना है, अनावश्यक औपचारिकातओं को समाप्त करना है, प्रक्रियाओं को तेज करना है और प्रौद्योगिकी अपनानी है। हम 19 वीं सदी की प्रशासनिक प्रणाली के साथ 21वीं सदी में आगे नहीं बढ़ सकते।

श्रोताओं में मोदा का पूरा मंत्रिमंडल उपस्थित था। प्रधानमंत्री नेे कहा कि यह बदलाव वाय और आंतरिक दोनों कारणों से होना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि हर देश के अपने अनुभव, संसाधन और ताकत होती है। उन्होंने कहा, हो सकता है, तीस साल पहले देशों की दृष्टि केवल अपने अंदर तक ही सीमित रहती हो और वे अपने समाधान अपने अंदर से ही ढूंढते रहे हों। पर आज देश परस्पर निर्भर होकर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। आज कोई देश अपने को दूसरों से अलग रख कर विकास नहीं कर सकता। हर देश को अपने काम को वैश्विक कसौटियों पर कसना होता नहीं, किसी ने एेसा नहीं किया तो वह पीछे छूट जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बदलाव की आवश्यकता आंतरिक वजहों से भी आवश्यक है। आज युवा पीढ़ी की आकांक्षाएं इतनी उंची हो गयी हैं कि कोई सरकार अतीत में अटकी नहीं रह सकती है। प्रधानमंत्राी मोदी ने कहा कि प्रशासनिक मानसिकताओं में समान्यत: कोई बुनियादी बदलाव तभी आता है जब कि अचानक कोई झटका लगे या संकट खड़ा हो जाए। उन्होंने कहा, भारत में एक मजबूत लोकतांत्रिक राजव्यवस्था है। इसके बीच कायाकल्प करने वाले बदलाव के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर हम किताबों या लेखों से नए विचार प्राप्त कर सकते हैं। किताबें हमारे मस्तिष्क का दरवाजा खोलती हैं। पर जब तक हम सब मिल कर विचार मंथन नहीं करते, वे विचार व्यक्तियों के मस्तिष्क में ही सीमित रहते हैं। मोदी ने कहा कि एक एेसा समय था जबकि माना जाता था कि विकास पूंजी और श्रम की उपलब्धता पर निर्भर करता है, पर आज यह संस्थानों और विचारों की गुणवत्ता भी उतना ही महत्वपूर्ण हो गयी है।

प्रधानमंत्राी ने कहा कि पिछले साल नेशनल इंस्टिट्यूट फार टांसफार्मिग इंडिया आयोग :नीति आयोग: नाम से एक नयी संस्था खड़ी की गयी। नीति की स्थापना प्रमाणों पर आधारित शोध करने वाली एक संस्था के रूप में की गयी है जो भारत के कायाकल्प के लिए राहें सुझा सके। उन्होंने कहा कि नीति का काम यह भी है कि वह देश विदेश के विशेषज्ञों के साथ सहयोग कर बाहर से प्राप्त विचारों को भी सरकार की प्रमुख नीतियों के साथ जोड़वा सके। मोदी ने कहा कि इस संस्था को बाकी दुनिया विश्व, वाय विशेषज्ञों और नीतियों को लागू करने वालों आदि के साथ भारत सरकार के संपर्क सूत्र की भी भूमिका निभानी है। साथ ही इसे एक एेसे उपकरण के रुप में काम करने है जिसके माध्यम से बाहरी विचारों को देश की नीतियों में समायोजित किया जा सके। भाषा एजेंसी 

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