चुनावों में राजनीतिक दलों को फंड मुहैया कराने वाले इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट को चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार इस बात का ब्यौरा सार्वजनिक करना होगा कि उसे उसे कहां से पैसा मिला और उसने किन राजनीतिक दलों को कितना दिया। अभी तक प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अभी तक सबसे अधिक फंड छह इलेक्ट्रोरल ट्रस्टों में से एक सत्या इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट से मिला। सत्या इलेक्ट्रोरल फंड ने 76 फीसदी फंड भाजपा को दिया, जबकि ट्रायम्प ट्रस्ट ने 66 फीसदी फंड भाजपा को दिया। यह खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने आज किया।
एडीआर के प्रमुख मेजर जनरल (सेवानिवृत) अनिल वर्मा ने आउटलुक को बताया कि अभी यह सार्वजनिक होना बेहद जरूरी है कि इस ट्रस्टों को कौन फंड कर रहा है। यानी इनमें चुनाव के लिए पैसा कौन से कॉरपोरेट घराने या व्यक्ति लगा रहे है। इस बात का भी अंदेशा है कि इस ट्रस्टों के जरिए बड़े पैमाने पर काले धन को सफेद करने की कवायद चल रही हो। इन तमाम पहलुओं पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि अरबों से हो रहे चुनाव प्रचार की फंडिंग का भी खुलासा हो।
गौरतलब है कि भारतीय चुनाव आयोग ने 6 जून 2014 को यह दिशा-निर्देश जारी किया था कि 2013 जनवरी के बाद जो भी इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट बने हैं उन्हें अपनी सालाना रिपोर्ट जमा करनी होगी। एडीआर ने यह अध्ययन इन्हीं आंकड़ों पर तैयार किया है। जनवरी 2013 के बाद सात इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट बने थे-सत्या इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट, प्रतिनिधि इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट, पीपुल्स इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट, प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट, जनहित इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट,बजाज इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट और जनप्रगति इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट। इनमें से सबसे ज्यादा फंड मिला वर्ष 2014-15 में सत्या इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट को 141.78 करोड़ रुपये, जिसमें से उसने 75.66% यानी 107.25 करोड़ रुपये भाजपा को दिए, जबकि ट्रायम्प इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट ने66 फीसदी भाजपा को दिया।