झारखंड के मधुपुर में कम समय में होने वाले विधानसभा उप चुनाव में भाजपा को एकसाथ दो मोर्चे पर लड़ना पड़ रहा है। बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा हाथ से राज्य की सत्ता फिसल चुकी है। बेरमो और दुमका में हुए उप चुनाव में भी कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा अपनी सीट पर वापस कब्जा कर चुके हैं। भाजपा साबित नहीं कर पाई कि उसने जनता का विश्वास वापस हासिल किया हो। अब मधुपुर विधानसभा उप चुनाव भाजपा के भरोसे की कसौटी है। जहां उसे खुद को साबित करना है। उसके पहले उसे गठबंधन में शामिल आजसू के साथ दो-दो हाथ करना होगा।
दुमका और बेरमो विधानसभा उप चुनाव के दौरान भी आजसू की बेरमो सीट पर नजर थी, लेकिन उसे मना लिया गया था। आजसू अब मधुपुर सीट को लेकर गंभीर है। कम सीटें मिलने के कारण 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू पार्टी ने भाजपा गठबंधन से किनारा कर लिया था। अकेले चुनाव लड़ी थी। 19 साल पुरानी दोस्ती में दरार पड़ गया था। 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू को भी झटका लगा तो दोस्ती पुन: कायम हो गई। बता दें कि 2014 में रघुवर सरकार बनने में मददगार साबित हुई थी। तब आजसू ने पांच सीटें जीती थीं। मगर 2019 में एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा।
झामुमो सुरक्षित
हेमन्त सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी की मौत के कारण मधुपुर सीट खाली हुई है। राजद इस सीट के लिए दबाव बना रहा था। राजद और दबाव बढ़ाता इसके पहले ही हेमन्त सोरेन ने बिना विधायक बने हाजी हुसैन अंसारी के बड़े पुत्र हफीजुल को अपने कैबिनेट में शामिल कर राजद सहित अन्य लोगों को संदेश दे दिया।
मिल सकती है भाजपा से कड़ी चुनौती
मधुपुर में भाजपा से सत्ताधारी झामुमो को कड़ी चुनौती मिल सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में हाजी हुसैन ने रघुवर सरकार में मंत्री रहे भाजपा के राज पलिवार को 45620 मतों से हराया था। तीसरे पायदान पर रहे आजसू के गंगा नारायण को 45620 वोट मिले थे। यानी भाजपा और आजसू मिलकर लड़ते तो हाजी हुसैन के बराबर वोट। हाजी हुसैन 110666 वोट पाकर जीते थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के राज पलिवार को 65046 वोट मिले थे। अब भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो के सहीम खान को सिर्फ 4222 वोट मिले थे। बाबूलाल, झाविमो का भाजपा में विलय कर चुके हैं और आजसू गठबंधन में शामिल है। मगर वोटों का गणित सीधा गणित नहीं होता। हां, आजसू से अड़चन नहीं हुआ तो भाजपा झामुमो को कड़ी चुनौती जरूर दे सकती है।
भाजपा को परेशान कर रही आजसू
मधुपुर सीट पर दावा कर आजसू भाजपा को परेशान कर रही है। दावेदारी को मजबूत करने के लिए आजसू ने मधुपुर में इसी 12 जनवरी को पार्टी का सम्मेलन किया तो दस दिन बाद ही 22 जनवरी को बड़ी सभा का आयोजन कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। पिछले चुनाव में उसके उम्मीदवार को मिले वोट भी आजसू गिना रही है। उसे भुनाना चाहती है। उसने जाहिर भी कर दिया है कि इस चुनाव में भी गंगा नारायण पर दांव खेलेगी। संवैधानिक बाध्यता के कारण अप्रैल के पहले सप्ताह से पहले चुनावी प्रक्रिया पूरी कर लेनी है। समय कम है। राज्य निर्वाचन कार्यालय ने इस दिशा में अपनी कार्रवाई, तैयारी शुरू कर दी है। किसी भी समय चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है। राज्य के चुनाव आयुक्त भी दौरा कर चुके हैं और पार्टियां भी अपनी गतिविधियां बढ़ा रही हैं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी लगातार संताल का दौरा कर रहे हैं। आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा कि मधुपुर सीट को लेकर भाजपा-आजसू का गठबंधन रहेगा या नहीं।