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जाट आरक्षण पर दुविधा में भाजपा

भारतीय जनता पार्टी अब जाट आरक्षण के मुददे पर दुविधा में दिखाई पड़ रही है। भले ही भाजपा यह कह रही हो कि जाट आरक्षण निरस्त करने के फैसले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। लेकिन पार्टी के ही कुछ सांसद जाटों को आरक्षण दिए जाने का विरोध कर रहे हैं।
जाट आरक्षण पर दुविधा में भाजपा

कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद राजकुमार सैनी का कहना है कि अगर पिछड़े वर्ग को मिलने वाले २७ फीसद आरक्षण कोटे से अगर सरकार ने कोई छेड़छाड़ की तो वे भाजपा से किनारा कर सकते हैं। 

ऐसे ही स्वर पार्टी के कई सांसदों के हैं लेकिन कुछ मजबूरियों के चलते हैं वह खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। एक सांसद नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि पिछड़ाें को जो आरक्षण मिला हुआ है उसमें से ही सियासी दल अन्य जातियों को लुभाने का प्रयास करते हैं।  सियासी दलों को इतनी ही चिंता है तो जो पिछड़ी आबादी है उसकी भी तो चिंता करनी चाहिए। 

रविवार को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में गैर जाट पिछड़े नेताओं के सम्मेलन में खुलकर वक्ताओं ने जाटाें को आरक्षण दिए जाने का विरोध किया। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके अशोक यादव ने साफ तौर पर कहा कि पिछड़ाें को मिलने वाले आरक्षण कोटे से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। यादव आउटलुक से कहते हैं कि जिन दलों ने पिछड़ाें के साथ अन्याय किया उनका बुरा हाल हुआ है। 

गौरतलब है कि सरकार ने अपनी  याचिका में कहा है कि अन्य पिछड़े वर्ग की केंद्रीय सूची में जाटों को शामिल करने का अधिकार संविधान के अनुरूप है। एनडीए ने जाटों को आरक्षण देने के यूपीए सरकार के फैसले का पुरजोर समर्थन किया था। केंद्र ने पुनर्विचार याचिका में शीर्ष अदालत से कहा है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशें मानना केंद्र सरकार के लिए बाध्यकारी है, अदालत का ऐसा मानना एक त्रुटि है। अशोक यादव का कहना है कि जो पिछड़ाें के नेता हैं वह खुलकर सामने आने से कतराते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि सारी जातियों को खुश रखना होगा। लेकिन यह समझने वाली बात होगी कि जो व्यक्ति अपने लोगों को नहीं खुश कर सकता वह दूसरों को कैसे ख‍ुश देखेगा। 

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