Advertisement

टिकैत ने कर दी 11 महापंचायत, बोले चढूनी- किसान आंदोलन को करें मजबूत, गांव में इसकी जरुरत नहीं

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों और सरकार के...
टिकैत ने कर दी 11 महापंचायत, बोले चढूनी- किसान आंदोलन को करें मजबूत, गांव में इसकी जरुरत नहीं

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच 12 दौर की बातचीत के बाद पिछले एक महीने से गतिरोध बना हुआ है। दिल्ली की सीमाओं से किसानों को लोटते देख  आंदोलन में नए सिरे से जान फूंकने के लिए किसान नेता हरियाणा, पंजाब और उत्तरप्रदेश में महापंचायतें कर रहे हैं। 26 जनवरी को दिल्ली में हुई िहसंक घटनाओं के बाद से राकेश टिकेत की अगुवाई में महापंचायतों पर जोर के बीच किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर लगाए मौर्चाें के जरिए केंद्र सरकार पर दबाव भी कमजोर पड़ गया। केंद्र पर फिर से दबाव बनाने के लिए हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने हरियाणा-पंजाब में किसान महापंचायतें बंद करके बॉर्डर पर ही आंदोलन मजबूत करने का आह्वान किया है।

चढ़ूनी ने वीडियो जारी कर कहा कि ये जो महापंचायतों का सिलसिला शुरू हुआ है, उसकी हरियाणा और पंजाब में जरूरत नहीं है। यहां तो पहले ही बहुत जागृति है। मेरे ख्याल में लोग भी इन्हें नहीं चाह रहे हैं। अपील है कि सभी भाई इन्हें अब बंद कर दें। खापों से भी यही अनुरोध है। सभी गांव अनुसार लोगों की ड्यूटी लगाएं, जो बॉर्डर पर स्थाई रूप से बैठें, जिससे बॉर्डर पर आंदोलन में मजबूती आए। दिल्ली पुलिस द्वारा पंजाब व हरियाणा में आकर किसानों की गिरफ्तारी के मसले पर चढूनी ने कहा कि दिल्ली पुलिस गिरफ्तार करने आए तो गांव में ही घेरकर बैठा लो। उन्हें खिलाओ-पिलाओ और जिला अधिकारी के आने के बाद तब ही छोड़ो जब वे यह कह दें कि दोबारा पुलिस गांव में नहीं आएगी।

फरवरी के 20 दिनों में टिकेत और उनके गुट के  किसान नेता हरियाणा में 11 महापंचायतों के जरिए 15 जिलों में अपनी मजबूती दिखा चुके हैं। स्थानीय स्तर पर किसान महापंचायतों को समर्थन बढ़ा है, पर बॉर्डर पर आंदोलन प्रभावित हुअा। 20 दिन में संयुक्त किसान मोर्चे की सिर्फ 3 बैठकें ही हुईं, जबकि पहले हर दूसरे दिन बैठक में रणनीति तय की जाती थी। नियमित बैठकें न होने का मुद्दा कुंडली बॉर्डर पर मंच से कई बार उठा है। वहां बैठे किसान कहने लगे हैं कि नेता महापंचायत करें, लेकिन बैठकें भी नियमित रूप से करें। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने 23 फरवरी को ‘पगड़ी सम्भाल’ दिवस मनाने का ऐलान किया है।

किसान महापंचायतों के नाम पर सियासी दल भी सक्रिय हो गए। प्रदेश में कहीं इनेलो तो कहीं कांग्रेस किसान महापंचायत के नाम पर कार्यक्रम करने लगी है। वहीं, किसानों की पंचायतों में भी कई जगह राजनीतिक लोग मंच पर आ रहे हैं। किसान नेता भी मंच से सरकार की जगह भाजपा का विरोध कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल तक में जाकर विरोध की बात कह रहे हैं। वहीं, सरकार भी महापंचायतों के कारण वार्ता की पहल न कर अपने मत वाले किसान नेताओं को खापों से मिलने और समझाने में लगा दिया है।

टिकेत गुट के प्रदेश महासचिव पर चढूनी के गृहक्षेत्र में जानलेवा हमला:  

इधर सोमवार को चढूनी के गृह क्षेत्र कुरुक्षेत्र में टिकैत गुट के प्रदेश महासचिव जसतेज सिंह संधू पर जानलेवा हमला करने का मामला सामने आया है। संधू पर मोटरसाइकिल सवार युवकों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की। जसतेज पूर्व कृषि मंत्री जसविंदर सिंह संधू के बेटे हैं और किसान आंदोलन में जाने के लिए निकले थे। लेकिन इस हमले में जसतेज बाल-बाल बच गए। वारदात पुलिस चौकी कुछ ही दूरी पर अंजाम दी गई। जानकारी के अनुसार, जसतेज पिहोवा के गांव गुमथला गढू से थाना टोल प्लाजा पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए निकले थे। जब वे गुमथला गढू के से निकलकर गांव बेगपुर बस अड्डे के पास पहुंचे तो बाइक सवार युवकों ने उन पर गोलियां बरसाईं, लेकिन गोलियां कार के अगले शीशे और ड्राइवर की तरफ के शीशे को तोड़ते हुए निकल गईं। फायरिंग करने के बाद युवक मौके से फरार हो गए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad