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निजीकरण पर बीएमएस ने कड़ा विरोध जताया, कहा- सरकार के पास विचारों का अकाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ ने अर्थव्यवस्था के आठ सेक्टरों के निजीकरण...
निजीकरण पर बीएमएस ने कड़ा विरोध जताया, कहा- सरकार के पास विचारों का अकाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ ने अर्थव्यवस्था के आठ सेक्टरों के निजीकरण का कड़ा विरोध किया है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए राहत पैकेज की घोषणाओं के क्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को नीतिगत घोषणाएं की थीं।

निजीकरण से नहीं सुधरेगी अर्थव्यवस्था

बीएमएस ने कहा कि यह देश के लिए शोक दिवस है कि आठ क्षेत्रों के निजीकरण की घोषणा से पता चलता है कि केंद्र सरकार के पास विचारों और योजनाओं की कमी हो गई है। उसने कहा कि निजीकरण देश के हितों के खिलाफ है और इन फेल हो चुके आइडियाज के आधार पर अर्थव्यस्था में दोबारा रफ्तार आने वाली नहीं है।

बीएमएस ने अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए समचित विचार की कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, एयरपोर्ट, विद्युत वितरण, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निजीकरण की घोषणा करते हुए सरकार का यह कहना है कि कोई अन्य चारा नहीं है, विचारों का अभाव दर्शाता है।

श्रमिकों और रोजगार पर बुरा असर होगा

संगठन का कहना है कि इस तरह के अधिकांश बदलावों से श्रमिकों पर बुरा असर पड़ता है। निजीकरण के कारण बड़े पैमाने पर नौकरियां जाएंगी और अच्छी नौकरियों का अकाल होगा। निजीकरण से मुनाफाखोरी और श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा। बीएमएस ने दावा किया कि सरकार किसी तरह की बातचीत के बिना ही इस तरह के बदलाव कर रही है जबकि लोकतंत्र में वार्ता करना आश्यक है। केंद्र सरकार श्रम संगठनों से बातचीत करने से बचती रही है।

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