ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा है कि बजट में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से बिजली कर्मियों में गुस्सा व्याप्त हो गया है और इनकम टैक्स में कोई राहत न मिलने से भारी निराशा है।
उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कम्पनियों की मोनोपोली समाप्त करने के नाम पर एक क्षेत्र में एक से अधिक बिजली वितरण कंपनियों के आने का साफ़ मतलब है कि वर्तमान में सरकारी बिजली कंपनियों के अतिरिक्त निजी कंपनियों को बिजली आपूर्ति का कार्य दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसके बाद निजी बिजली कम्पनियाँ सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का बिना नेटवर्क में कोई निवेश किये प्रयोग करेंगी। इतना ही नहीं तो निजी कम्पनियाँ केवल मुनाफे वाले औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी और घाटे वाले ग्रामीण और घरेलू उपभोक्ताओं को सरकारी कंपनी घाटा उठाकर बिजली देने को विवश होगी। इससे पहले ही आर्थिक संकट से कराह रही सरकारी बिजली कंपनियों की माली हालत और खराब हो जाएगी। परिणामस्वरूप किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं पर घाटे का बोझ आएगा और अंततः इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी।
बजट में सार्वजानिक क्षेत्र के सम्पूर्ण निजीकरण की घोषणा की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह निजीकरण और कारपोरेट घरानों का बजट है। उन्होंने कहा कि पहले ही पहले ही महंगाई भत्ते के फ्रीज का दंश झेल रहे कर्मचारियों को इनकम टैक्स में कोई राहत न देना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निराशाजनक है।