सीबीआई ने रायबरेली कोर्ट के फैसले को रद्द करके नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के केस को लखनऊ में चलाए जाने की मांग की है।
दरअसल रायबरेली कोर्ट की ओर से तकनीकी आधार पर इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामला चलाए जाने के फैसले को रद्द कर दिया गया था। जिसे वर्ष 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से सही ठहराया गया था।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचा विध्वंस मामले को दो हफ्तों के लिए टाल दिया था और भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी समेत अन्य नेताओ से मामले में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। जिसके जवाब में आडवाणी के वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि अगर आपराधिक केस का ट्रायल फिर से शुरु किया जाएगा, तो 183 गवाहों को दोबारा से बुलाया जाएगा। जिनकी निचली अदालत में गवाही हो चुकी है।
बता दें कि रायबरेली की कोर्ट में 57 गवाहों के बयान दर्ज किये जा चुके हैं और अभी 100 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज करने बाकी हैं। वहीं लखनऊ कोर्ट में 195 गवाहों की पेशी हो चुकी है। जबकि 300 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किये जाने हैं। गौरतलब है कि अयोध्या में स्थित 16वीं शताब्दी की विवादित ढांचा को वर्ष 1992 में हिंदू एक्टिविस्ट के द्वारा गिरा दी गयी थी।