उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फट गया है। रविवार को ग्लेशियर के फटने से धौली नदी में बाढ़ आ गई है। जिसके बाद चमोली से लेकर हरिद्वार तक खतरा बढ़ गया है। अब उत्तर प्रदेश में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। आनन-फानन में रेस्क्यू टीम को रवाना कर दिया गया है। पूरे प्रशासनिक अमले को अलर्ट पर रखा गया है। नदी किनारे बसी बस्तियों को पुलिस लाउडस्पीकर से अलर्ट कर रही है और लोगों को हटा रही है। ऋषिकेश गंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान हुआ है। शुरूआती खबरों के मुताबिक क्षेत्र में एक बिजली परियोजना पर काम कर रहे लगभग 150 मजदूर लापता हैं। अब इन सभी के मरने की आशंका जताई जा रही है। इनके बाढ में बहने की आशंका है। फिलहाल रेस्क्यू कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। रेस्क्यू अधिकारियों के मुताबिक तपोवन में 3 लाशें मिली है। इधर केंद्र लगातार मामले पर नजर बनाए हुए है। गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने राज्य के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात कर पूरी जानकारी ली है।
कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी किनारे बसे लोग अपना मकान खाली कर रहे हैं। फंसे लोगों के लिए हेल्प-लाइन नंबर जारी कर दिया गया है। शुरूआती खबरों के मुताबिक क्षेत्र में एक बिजली परियोजना पर काम कर रहे लगभग 150 मजदूर लापता हैं। रेस्क्यू टीम की तरफ से बचाव अभियान जारी है।
सीएम रावत ने ट्वीट करते हुए कहा, "अगर आप प्रभावित क्षेत्र में फंसे हैं, आपको किसी तरह की मदद की जरूरत है तो कृपया आपदा परिचालन केंद्र के नम्बर 1070 या 9557444486पर संपर्क करें। कृपया घटना के बारे में पुराने वीडियो से अफवाह न फैलाएं। मैं स्वयं घटनास्थल के लिए रवाना हो रहा हूँ।" आगे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विनती करते हुए कहा कि अफवाह न फैलाएं और पुराने वीडियो, फोटो को शेयर न करें। उन्होंने कहा, मेरी सभी से विनती है कि कृपया कोई भी पुराने video share कर panic ना फैलाएँ। स्थिति से निपटने के सभी ज़रूरी कदम उठा लिए गए हैं । आप सभी धैर्य बनाए रखें।
आपदा पर जानकारी देते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, "चमोली के रिणी गांव में ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को भारी बारिश व अचानक पानी आने से क्षति की संभावना है। नदी में अचानक पानी आने से अलकनंदा के निचले क्षेत्रों में भी बाढ़ की संभावना है। तटीय क्षेत्रों में लोगों को अलर्ट किया गया है। नदी किनारे बसे लोगों को हटाया जा रहा है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, "मैं उत्तराखंड की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पर लगातार निगरानी रख रहा हूं। भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और राष्ट्र सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार बात कर रहा हूं और एनडीआरएफ की तैनाती, बचाव और राहत कार्यों पर अपडेट ले रहा हूं।" वहीं, अमित शाह ने कहा, एनडीआरएफ की कुछ और टीमें दिल्ली से एयरलिफ्ट करके उत्तराखंड भेजी जा रही हैं। हम वहां स्थिति को निरंतर मॉनिटर कर रहे हैं। उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की सूचना के संबंध में मैंने CM त्रिवेंद्र सिंह रावत, DG ITBP व DG NDRF से बात की। सभी संबंधित अधिकारी लोगों को सुरक्षित करने में युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। NDRF की टीमें बचाव कार्य के लिए निकल गयी हैं। देवभूमि को हर संभव मदद दी जाएगी।"
यूपी में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। गंगा से सटे जिलों में खास तौर से निगरानी की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गंगा नदी के किनारे स्थित जनपदों के सभी जिलाधिकारियों/पुलिस अधीक्षकों को लगातार निगरानी के निर्देश दिये गये हैं। परिस्थितियों से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एसडीआरएफ को भी अलर्ट कर दिया गया है। प्रदेश में गंगा नदी के किनारे स्थित जनपदों में जल स्तर की निरन्तर निगरानी की जा रही है। जल स्तर बढ़ने की दशा में आवश्यकता पड़ने पर गंगा नदी के किनारे बसे लोगों को वहां से अन्यत्र भेजा जाएगा। राहत और बचाव के लिए निर्देश दिये जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि संकट की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार उत्तराखण्ड सरकार के साथ खड़ी है। उत्तराखण्ड सरकार को आवश्यकता पड़ने पर सभी आवश्यक मदद दी जाएगी।
देखें वीडियो:-
आगे सीएम रावत ने कहा, "एहतियातन भागीरथी नदी का फ्लो रोक दिया गया है। अलकनन्दा का पानी का बहाव रोका जा सके इसलिए श्रीनगर डैम तथा ऋषिकेष डैम को खाली करवा दिया है। एसडीआरएफ अलर्ट पर है। मेरी आपसे विनती है अफवाहें न फैलाएं। मैं स्वयं घटनास्थल के लिए रवाना हो रहा हूं।"
Massive #flood in #DhauliGanga, Joshimath seen near Reni village, where some water body above flooded and destroyed many river bankside houses due to some cloudburst, casualties feared, @ITBP_official rushed for rescue pic.twitter.com/aQphYQuIcH
— DD News (@DDNewslive) February 7, 2021
गौरतलब है कि इसी महीने के आखिरी सप्ताह से हरिद्वार में कुंभ मेला होना है। यदि खतरा बढ़ता है तो राज्य सरकार को कुछ ठोस कदम उठाते हुए कार्यक्रम को लेकर सोचना पड़ सकता है।