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भारत ने अंतरिक्ष में फिर लहराया परचम, श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को हेवीलिफ्ट एलवीएम3-एम4 रॉकेट पर अपना तीसरा चंद्र...
भारत ने अंतरिक्ष में फिर लहराया परचम, श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को हेवीलिफ्ट एलवीएम3-एम4 रॉकेट पर अपना तीसरा चंद्र मिशन-चंद्रयान 3 लॉन्च कर दिया है। बता दें कि इस मिशन को लेकर देशभर में पहले से ही उत्साह देखा जा रहा था लोग अपने टीवी और मोबाइल से चिपके हुए थे। 25.30 घंटे की उलटी गिनती के अंत में, LVM3-M4 रॉकेट, जो अपनी श्रेणी में सबसे बड़ा और भारी है और जिसे 'फैट बॉय' कहा जाता है, दूसरे लॉन्च पैड से दोपहर 2.35 बजे निर्धारित समय पर धुएं को छोड़ते हुए शानदार ढंग से उठ गया।

इस ऐतिहासिक प्रक्षेपण को देखने के लिए हजारों दर्शक भी एकत्र हुए, जिन्होंने रॉकेट के आसमान में चढ़ने पर उसका उत्साह बढ़ाया। गौरतलब है कि चंद्रयान-3 मिशन के साथ, वैज्ञानिक चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग में महारत हासिल करने का लक्ष्य बना रहे हैं, जो एक चुनौतीपूर्ण तकनीकी पहलू है जिसे अगस्त के अंत में करने की योजना है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए भारत के तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ के सफल प्रक्षेपण पर शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई दी और कहा कि यह अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति के प्रति राष्ट्र की दृढ़ प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

 

राष्ट्रपति भवन ने राष्ट्रपति मुर्मू के हवाले से ट्वीट किया, ‘‘भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर है। इसके लिए इसरो, टीम और उन सभी को शुभकामनाएं, जिन्होंने इस कार्य को पूरा करने के लिए अथक परिश्रम किया।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि यह अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति के प्रति राष्ट्र की दृढ़ प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। मुर्मू ने कहा, ‘‘ चंद्र अभियान की सफलता पर मेरी शुभकामनाएं।’’

इसमें कोई शंका नहीं कि एक सफल मिशन संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत को यह दुर्लभ उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बना देगा। बता दें कि चंद्रयान 3 चंद्रयान 2 मिशन का अनुसरण करता है, जिसने 2019 में चंद्रमा की सतह पर वांछित नरम लैंडिंग हासिल नहीं की, जिसके बाद वैज्ञानिक निराश हुए थे।

इसरो के अधिकारियों की मानें तो, उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद, प्रणोदन मॉड्यूल रॉकेट से अलग हो जाएगा और पृथ्वी से 170 किमी निकटतम और 36,500 किमी दूर चंद्रमा की ओर बढ़ते हुए एक अण्डाकार चक्र में लगभग 5-6 बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। लैंडर के साथ प्रणोदन मॉड्यूल, गति प्राप्त करने के बाद चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए एक महीने से अधिक लंबी यात्रा के लिए आगे बढ़ेगा जब तक कि यह चंद्रमा की सतह से 100 किमी ऊपर नहीं चला जाता।

इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि वांछित ऊंचाई पर पहुंचने के बाद, लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए उतरना शुरू कर देगा और यह कार्रवाई 23 या 24 अगस्त को होने की उम्मीद है।

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