पूर्व पुलिस आयुक्त ने शुक्रवार की शाम दिल्ली साहित्योत्सव में यह बात पत्रकार अविरूक सेन के साथ बातचीत के एक सत्र के दौरान कहा। कुमार से जब छोटा राजन और भारत सरकार के संबंधों की खबरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, इसका छोटा सा जवाब है, हां। सत्र की संचालक मधु त्रेहन ने उनसे सवाल किया कि क्या यह तथ्य है या केवल सुनी सुनाई बात है। इस पर कुमार ने अपने बयान को दोहराते हुए कहा, यदि मैं यह कह रहा हूं, तो यह सच है। दरअसल इस तरह की चर्चा है कि दाऊद पर शिकंजा कसने के लिए भारत सरकार छोटा राजन का इस्तेमाल करती रही है। इसके बदले छोटा राजन को सरकार की तरफ से कुछ मदद भी दी जाती रही है। हालांकि इन बातों की कभी पुष्टी नहीं हुई है।
पूर्व दिल्ली पुलिस आयुक्त कुमार ने अपनी पुस्तक डायल डी फॉर डॉन में दावा किया था कि उन्हें जून 2013 में दाऊद इब्राहिम का फोन आया था। कुमार ने किताब में जिक्र किया है कि मुंबई में 1993 में हुए बम विस्फोटों के बाद तीन अलग-अलग मौकों पर उनकी भगोड़े दाऊद से बात हुई थी। पिछले साल जारी हुई कुमार की इस पुस्तक में दावा किया गया था कि 1990 के दशक में एक समय दाऊद आत्मसमर्पण करना चाहता था। इस खुलासे की वजह से कुमार की यह किताब काफी सुर्खियों में रही थी।
कार्यक्रम में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कुमार ने कहा कि दाऊद को पकड़ने के लिए पूरी तरह छोटा राजन पर निर्भर नहीं करना चाहिए। सत्र में कुमार ने अंसल प्लाजा गोलीबारी और मंडल आयोग प्रदर्शनों समेत कई अन्य विवादास्पद मामलों से जुड़ी बातें भी साझा कीं जो उनके लंबे करियर के दौरान घटित हुई थीं।