भारत-चीन सीमा पर लंबे समय से चल रहा तनाव फिर से बढ़ गया है। गुरुवार को चीन के रक्षा मंत्रालय ने भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल विपिन रावत के बयान पर भड़कते हुए कड़ी नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, 12 नवंबर को एक कार्यक्रम में जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत का प्राथमिक फोकस डी-एस्केलेशन से पहले डी-इंगेजमेंट पर है, क्योंकि चीन हमारा नंबर-वन दुश्मन है, न कि पाकिस्तान।
इसी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने एक मीडिया ब्रीफिंग में जनरल रावत के बयान को 'गैरजिम्मेदाराना और खतरनाक' बताते हुए कहा, "भारतीय अधिकारी बिना किसी कारण के तथाकथित 'चीनी सैन्य खतरे' पर अटकलें लगाते हैं, जो दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन का गंभीर उल्लंघन है।"
पीएलए के प्रवक्ता ने कहा कि सीमा मुद्दे पर चीन की स्थिति "साफ और स्पष्ट" है। उन्होंने कहा, "चीनी रक्षा बल राष्ट्रीय संप्रभुता की सुरक्षा के लिए तत्पर है। एक पड़ोसी देश के रूप में, हम आशा करते हैं कि भारत और चीन संयुक्त रूप से बॉर्डर पर शांति बनाए रखने के लिए मिलकर काम करेंगे और परस्पर संबंधों को बेहतर बनाए रखेंगे।"
कर्नल वू कियान ने इसके अलावा एक पुरानी चीनी कहावत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि "यदि आप दर्पण के रूप में शीशे का उपयोग करते हैं, तो आप अपनी उपस्थिति को सही कर सकते हैं। यदि आप इतिहास को दर्पण के रूप में उपयोग करते हैं, तो आप किसी राज्य के उत्थान और पतन को समझ सकते हैं। अगर आप अच्छे लोगों को आइने की तरह इस्तेमाल करते हैं, तो आप सही गलत को समझ सकते हैं।"
बता दें, भारत-चीन सीमा पर गतिरोध पिछले साल मई में शुरू हुआ था। तब चीन ने अपने 60,000 से अधिक सैनिकों को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ पैंगोंग त्सो और अन्य क्षेत्रों की घेराबंदी की थी। इसके बाद 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक टकराव हुआ था। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। हालांकि, चीन ने अपने सैनिकों के हताहत होने की संख्या नहीं बताई थी, लेकिन बाद चीन ने दावा किया था कि उसके भी चार सैनिक मारे गए थे।जबकि कई रिपोर्ट्स के मुताबिक ये संख्या 40 के पार था।
बढ़ते तनाव के बीच दोनों देशों के सैन्य स्तरीय वार्ता कई बार हो चुकी है। पिछले हफ्ते, दोनों पक्षों के राजनयिकों ने सैन्य कमांडरों के बीच "जल्द से जल्द" बातचीत को फिर से शुरू करने और " बॉर्डर पर किसी भी अप्रिय घटना से बचने" पर सहमति व्यक्त की गई थी।