झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में कोयला पट्टी में अपना साम्राज्य फैलाये लाला के नाम से चर्चित पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा कोल माफिया अनूप मांझी कहां है। झारखण्ड पुलिस से लेकर सीबीआइ और दूसरी एजेंसियां उसकी तलाश कर रही है। जिसका इतने राज्यों में काला धंधा फैला हुआ हो। उसी के द्वारा जारी कथित लेटर पैड, नोट-कोड से रोजना सैकड़ों ट्रक अपनी मंजिल तय करते हों उसे पिछले कोई एक दशक से पुलिस नहीं पकड़ पायी है। पकड़े भी तो कैसे जिसके धंधे से इतने राज्यों के चुनिंदा पुलिस वाले पल रहे हों, जिसका कनेक्शन सत्ता के शीर्ष तक हो, अनगिनत लोग उपकृत हुए हों उसे पकड़े तो कौन। जाहिर है इतने लोगों का संरक्षण होगा तो आश्रय दाता भी बेहिसाब होंगे।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू है ऐसे में लाला के यहां रेड के बाद उसके कनेक्शन के आधार पर केंद्रीय एजेंसियों का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजा और टीएमसी के सेकेंड मैन, सांसद अभिषेक बनर्जी, उनकी पत्नी और साली के यहां केंद्रीय एजेंसियों की धमक ने लाला के खेल को और रंगीन बना दिया है। पश्चिम बंगाल में विपक्ष के लिए बढ़िया मौका मिल गया है।
जानकार बताते हैं कि कोई दो हजार करोड़ का साम्राज्य खड़ा करने वाले लाला से उपकृत होने से शायद ही कोई दल के नेता छूटे होंगे। 2011 में कोलकाता पुलिस ने बड़ी राशि और हथियार के साथ दबोचा था मगर जमानत मिल गयी। उसके बाद वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। तब पुलिस ने कहा था कि वह हथियार डील में आया था।
लाला अपने छुपने और ठिकानों की सुरक्षा करना बेहतर जानता है। उसके गांव में भी सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था है। पुरुलिया के भामुरिया गांव में चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं ताकि कोई हरकत हो तो उसमें कैद हो जाये। किसी रेड की भनक लग जाये। यह सब लाला की अपनी व्यवस्था है। उसके छुपने के ठिकानों के बारे में केंद्रीय एजेंसियों को जानकारी मिली कि देश के बाहर दुबई, सिंगापुर, लंदन, जिनेवा, कुआलालंपुर, बर्लिन, म्यूनिख, मलेशिया, स्विटजरलैंड उसके छुपने के ठिकाने हैं। ऐसे में पकड़ना बहुत आसान भी नहीं है। हालांकि सीबीआइ लुकआउट नोटिस जारी कर चुका है।