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अब ऑनलाइन खबरों के लिए नियम बनाएगी सरकार, बनाई कमेटी

'फेक न्यूज' को लेकर पत्रकारों की मान्यता खत्म करने वाले आदेश पर यूटर्न लेने के बाद सूचना एवं प्रसारण...
अब ऑनलाइन खबरों के लिए नियम बनाएगी सरकार, बनाई कमेटी

'फेक न्यूज' को लेकर पत्रकारों की मान्यता खत्म करने वाले आदेश पर यूटर्न लेने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने न्यूज पोर्टल और मीडिया वेबसाइट को रेग्युलेट करने के लिए एक समिति का गठन किया है। यह समिति इसे लेकर नियम बनाएगी।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने चार अप्रैल को जारी आदेश के मुताबिक बताया है कि इस 10 सदस्यीय समिति में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और गृह मंत्रालय के सचिव शामिल होंगे। इनके अलावा, इसमें विधि विभाग और औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग के सचिव भी रहेंगे।

समिति में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई), न्यूज ब्रॉडकॉस्टर एसोसिएशन और इंडियन ब्रॉडकॉस्टर फेडरेशन के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

आदेश के मुताबिक, निजी टीवी चैनलों पर विषय वस्तु का नियमन ‘कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता’ करता है, जबकि प्रिंट मीडिया का नियमन के लिए पीसीआई के पास अपने नियम कायदे हैं। जबकि ऑनलाइन मीडिया वेबसाइटों और न्यूज पोर्टल के नियमन के लिए कोई नियम या गाइडलाइन नहीं है। इसलिए, डिजिटल प्रसारण एवं मनोरंजन/ इंफोटेनमेंट साइटों और न्यूज/ मीडिया एग्रेगेटर सहित ऑनलाइन मीडिया/ न्यूज पोर्टल के लिए एक नियामक ढांचे का सुझाव देने तथा उसे बनाने के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है।

आदेश के अनुसार समिति ऑनलाइन मीडिया/ न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन विषय वस्तु मंचों के लिए उपयुक्त नीति बनाने की सिफारिश करेगी। ऐसा करने में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), टीवी चैनलों के कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता सहित पीसीआई के नियमों को भी ध्यान में रखा जाएगा।

समिति, सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करने के लिए मौजूदा नियामक तंत्र पर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य का भी विश्लेषण करेगी।

बता दें कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ‘फेक न्यूज’ को रोकने के लिए 2 अप्रैल को नियमों का ऐलान किया था। इसके तहत ‘फेक न्यूज’ प्रकाशित या प्रसारित करने वाले पत्रकारों की मान्यता निलंबित करने या स्थायी रूप से खत्म करने की बात कही गई थी। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर मंत्रालय ने यह दिशानिर्देश वापस ले लिया। मीडिया संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने इन नियमों की आलोचना करते हुए इसे स्वतंत्र प्रेस की आवाज दबाने वाला बताया था।

 

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