केंद्र सरकार ने अपने नए आदेश में कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों को महामारी से निजात पाने के बाद अगले 3 महीने तक के लिए एहतियाती खुराक को भी टाल दिया जाए। साथ ही यह भी कहा कि कोरोना से संक्रमित लोगों को रिकवरी के बाद अगले 3 महीने तक कोई खुराक न दी जाए। दरअसल, कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच देश में इस साल की शुरुआत से ही एहतियाती खुराक देने की शुरुआत की गई है।
सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को भेजे गए पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव विकास शील ने कहा, ‘‘कृपया ध्यान दें, जिन व्यक्तियों की जांच में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई है अब उन्हें ठीक होने के तीन महीने बाद खुराक दी जाएगी। इसमें ‘एहतियाती’ खुराक भी शामिल है।’’शील ने कहा, ‘‘मैं अनुरोध करता हूं कि संबंधित अधिकारी इसका संज्ञान लें।’’
दरअसल कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के आने के बाद एक बार फिर देश में वैक्सीनेशन तेज कर दी गई है। वायरस से बचाव के लिए सरकार की ओर से कई माध्यमों के जरिए जागरूकता फैलाई जा रही है। ऐसे में लोगों के मन में यह भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर वैक्सीन लगवाने या कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद कितने महीने तक इम्यूनिटी यानि एंटी बॉडी शरीर में बरकरार रहती है। लोगों के मन में उठ रहे सवाल को लेकर आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने जानकारी दी है।
बलराम भार्गव के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीज ठीक होने या वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद करीब 9 महीने तक एंटी बॉडी मौजूद रहती है। आईसीएमआर के डीजी के मुताबिक वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी को लेकर भारत में भी स्टडी हुआ और ग्लोबल स्तर पर भी रिसर्च किया गया। इन स्टडी से साफ हो गया है कि एंटी बॉडी करीब 9 माह तक शरीर में जीवित रहती है।
गौरतलब है कि 15 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों का कोविड-19 टीकाकरण 3 जनवरी से शुरू हुआ, जबकि 10 जनवरी से हेल्थ केयर वर्कर्स (एचसीडब्ल्यूएस), फ्रंट लाइन वर्कर्स (एफएलडब्ल्यू) और 60 वर्ष व उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सह-रुग्णता के साथ एहतियाती खुराक दिए जाने की शुरुआत की गई थी।