केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि हमारे देश की शानदार सांस्कृतिक विरासत को संजोने भर से काम नहीं चलेगा बल्कि उसे संवारने और नई पीढ़ी को वर्तमान की सोच के साथ ही उससे रूबरू कराने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि हमारा देश विभिन्न भाषाओं, धर्मों, क्षेत्रों, संस्कृतियों और संस्कारों के बावजूद भी एकसूत्र में अगर बंधा है तो इसका प्रमुख कारण सांस्कृतिक सौहार्द्र है। यह हिंदुस्तान को अनेकता में एकता के सांस्कृतिक सूत्र में पिरोता है। इसी अनेकता में एकता को हम सांस्कृतिक राष्ट्रवाद कहते हैं। नकवी ने कहा कि भारत में सैंकड़ों भाषाएं, एक दर्जन से ज्यादा धार्मिक आस्थाएं हैं, 29 राज्य 7 केंद्र शासित राज्यों के अलग-अलग रहन-सहन, खानपान, वेशभूषा के बावजूद हम एकसूत्र में बंधे हैं तो उसका सीधा श्रेय हमारे सांस्कृतिक सौहार्द्र और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को जाता है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक सौहार्द्र हमें धार्मिक संकीर्णता और बिखराव-टकराव के रास्ते से बचाता ही नहीं बल्कि सामाजिक सौहार्द्र को मजबूत भी करता है।
कार्यक्रम में नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय ने तय किया है कि पूरे देश में सांस्कृतिक सौहार्द्र समागम का आयोजन करेगा जिसमें अलग-अलग संस्कृति-कला के माध्यम से समाज को रूबरू कराया जाएगा। अगले वर्ष से यह सांस्कृतिक सौहार्द्र समागम दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ, कोलकाता और बेंगलुरु आदि स्थानों पर किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक सौहार्द्र भारत की ताकत है और हमें इस एकता के ताने-बाने को और मजबूत करने के लिए ईमानदार प्रयास करने होंगे। भारत दुनिया का सबसे खूबसूरत एवं संस्कारी लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमें अपने देश की संस्कृति को समझाने में मददगार साबित होते हैं। आज के दौर में हमें आधुनकिता को तो अपनाना ही है लेकिन साथ ही देश की संस्कृति की जड़ें भी मजबूत रखनी हैं। जो समाज अपने देश की संस्कृति से दूर हो जाए वह कभी तरक्की नहीं कर सकता। इंडिया हारमनी फाउंडेशन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नकवी ने कहा कि यह संस्था समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सौहार्द्र कायम रखने, राष्ट्रीय एकता के विचार को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।