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पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अरुण जेटली का निधन, एम्स में ली अंतिम सांस

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में शनिवार को...
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अरुण जेटली का निधन, एम्स में ली अंतिम सांस

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में शनिवार को निधन हो गया। वे काफी समय से बीमार चल रहे थे। पिछले कई सप्ताह से एम्स में उनका इलाज चल रहा था। एम्स के प्रोटोकॉल डिविजन ने वरिष्ठ भाजपा नेता के निधन की खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि जेटली ने शनिवार दोपहर अंतिम सांस ली। जेटली को सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी की शिकायत के बाद 9 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य भाजपा नेता सहित कांग्रेस के नेता भी उनका हालचाल जानने एम्स पहुंचे थे।

वाजपेयी सरकार में पहली बार बने मंत्री

जेटली वाजपेयी सरकार में 2000 में पहली बार कैबिनेट मंत्री बने थे। इसके बाद 2009 में राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 2014 में उन्होंने वित्त और रक्षा मंत्री की भी भूमिका निभाई। लेकिन 2019 में स्वास्थ्य कारणों से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया।

एबीवीपी से राजनीतिक सफर की ऊंचाइयों कहानी

एक शानदार वकील और क्रिकेट प्रशासक जेटली 1970 के दशक के अंत में आपातकाल के दौरान सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने लगे। उस वक्त उन्हें मीसा के तहत गिरफ्तार कर 19 महीने तक हिरासत में रखा गया था। वे लोकतांत्रिक युवा मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक बने और 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। जेटली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्रसंघ इकाई एबीवीपी से जुड़े और 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए।

2002 के गुजरात दंगों के बाद कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कानूनी मदद के दौरान जेटली मोदी बेहद करीब आ गए। जेटली 2014 का लोकसभा चुनाव अमृतसर से हार गए, फिर भी केंद्रीय मंत्री बने। उन्हें वित्त और कॉर्पोरेट मामलों जैसे प्रमुख विभाग दिए गए। यह मोदी का उनमें भरोसा ही था कि उन्हें दो बार रक्षा मंत्रालय का प्रभार भी दिया गया।

जेटली यूपीए-2 के वक्त राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। भाजपा के सत्ता में आने के बाद उन्हें राज्यसभा में सदन का नेता बनाया गया। जब बोफोर्स मुद्दा अपने चरम पर था, तो जेटली उस वक्त 1989-90 तक अडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रहे और 1991 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने। जेटली दिल्ली डिसिट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएश  (डीडीसीए) के पूर्व अध्यक्ष और बीसीसीआई के पूर्व उपाध्यक्ष भी रह चुके थे।

जीएसटी और नोटबंदी में भूमिका

राज्यसभा के चार बार सदस्य रह चुके जेटली भाजपा के उन चुनिंदा नेताओं में एक थे, जिन्होंने जल्दी ही समझ लिया कि नरेंद्र मोदी में राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के वर्चस्व को चुनौती देने की क्षमता है। उन्होंने पार्टी के भीतर और बाहर उनका समर्थन भी किया।

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री के रूप में जेटली ने माल और सेवा कर (जीएसटी) को लागू किया। यह एक ऐसा सुधार था, जिसका व्यापक चुनावी असर देखने को मिला। जेटली जब वित्त मंत्री थे, तभी मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया था। विपक्ष की ओर से नोटबंदी को "जनविरोधी" और जीएसटी को "त्रुटिपूर्ण" तरीके से लागू करने के आरोपों के बावजूद जेटली और अन्य भाजपा नेताओं ने मोदी सरकार का भरपूर बचाव किया।

कांग्रेस सहित सभी दल के नेताओं ने जताया दुख

कांग्रेस ने अरुण जेटली के निधन पर दुख जताया है। पार्टी ने ट्वीट कर कहा, “श्री अरुण जेटली के निधन की खबर सुनकर हम बेहद दुखी हैं। दुख की इस घड़ी में हमारी दुआएं उनके परिवारवालों के साथ हैं।”

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली की असामयिक निधन की खबरसुनकर बेहद दुख हुआ। मेरी दुआएं उनके परिजनों के साथ हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जेटली के निधन पर दुख जाहिर किया। उन्होंने कहा कि जेटली के उम्दा सांसद और बेहतरीन वकील थे। भारतीय राजनीति में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। दुख की इस घड़ी में मेरी दुआएं उन्हें चाहने वालों, पत्नी, बच्चों और दोस्तों के साथ हैं।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, “जेटली जी को हमेशा अर्थव्यवस्था को संकट से निकाने और पटरी पर लाने के लिए याद किया जाएगा। भाजपा को अरुण जी की कमी खलेगी। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।”

वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा, “अरुण जेटली जी के निधन से अत्यंत दुःखी हूं। जेटली जी का जाना मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है। उनके रूप में मैंने न सिर्फ संगठन का एक वरिष्ठ नेता खोया है बल्कि परिवार का एक ऐसा अभिन्न सदस्य भी खोया है जिनका साथ और मार्गदर्शन मुझे वर्षों तक प्राप्त होता रहा।”

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर दुख जताया। उन्होंने लिखा, "पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली का असमय निधन देश के लिए बड़ी क्षति है। एक बेहतरीन वकील और अपने सुशासन के लिए जाने जाने वाले वरिष्ठ राजनेता को देश याद करेगा। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।”

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