दिल्ली में पेड़ों की कटाई को लेकर मचे विवादों के बीच हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए 4 जुलाई तक इस पर रोक लगा दी है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दक्षिणी दिल्ली की 7 कॉलोनियों में सरकारी आवास बनाने के लिए लगभग 17,000 हजार पेड़ काटने की योजना पर हाइकोर्ट ने अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने एनबीसीसी के पेड़ काटने पर सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट ने पूछा कि आप आवास बनाने के लिए हजारों पेड़ काटना चाहते हैं और क्या दिल्ली ये जोखिम उठाने को तैयार है?
इस मामले की सुनवाई 2 जुलाई को एनजीटी में भी होगी।
आप का चिपको आंदोलन
इस मसले पर राजनीति भी तेज है। आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध कर रही है। ‘आप’ ने रविवार को 'चिपको आंदोलन' जैसा आंदोलन चलाया। साथ ही, सरोजिनी नगर इलाके में सैकड़ों लोगों ने भी इसमें भाग लिया।
आम आदमी पार्टी के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा, पेड़ काटकर वीआईपी लोगों के लिए निवास बनाना कहां तक जायज़ है, दिल्ली की हवा पहले से ही दूषित है उस पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय का यह तुगलकी फरमान दिल्ली के लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ है।
इससे पहले ‘आप’ नेता सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट कर कहा था कि "केंद्र सरकार दिल्ली में 17000 पेड़ काट रही है। क्या हम लोग ऐसा होने देंगे? क्या पेड़ कटने का विरोध नहीं करेंगे?” आप ने इस संबंध में प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि "आम आदमी पार्टी इन 17000 में से एक भी पेड़ नहीं काटने देगी, यदि पेड़ काटने जरूरी ही हैं तो फिर मोदी जी की सरकार इस प्रोजेक्ट को कहीं और ले जाए।" आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, "हरदीप पुरी जी ट्वीट करके कहते हैं कि हम एक पेड़ के बदले 10 पेड़ लगाएंगे। पर उनमें से कितने पौधे बचेंगे और जो बच भी गए वो 40 साल बाद पेड़ बनेंगे?"
क्यों काटे जाएंगे पेड़?
केंद्र सरकार की योजना के मुताबिक, दक्षिण दिल्ली के सात स्थानों पर पुनर्विकास के प्रोजेक्ट के लिए पेड़ काटे जाएंगे। केंद्र सरकार ने सरकारी अधिकारियों और नेताओं के लिए आवास बनाने की योजना बनाई है। इसे ‘रीडेवलपमेंट’ का नाम दिया गया है। दिल्ली के इन सात जगहों में नेताजी नगर, सरोजनी नगर, नैरोजी नगर, कस्तूरबा नगर, मुहम्मदपुर, श्रीनिवासपुरी और त्यागराज नगर शामिल है। इस काम को एनबीसीसी और सीपीडब्ल्यूडी कर रही है।