राष्ट्रीय राजधानी में जारी किसान आंदोलन से चिंतित भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की देर रात बैठक हुई जबकि किसान संगठनों ने बातचीत के लिए सरकार की किसी भी शर्त को मानने से मना कर दिया है।
नड्डा , शाह और तोमर ने किसानों की रणनीति को लेकर देर रात बातचीत की लेकिन उसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल सकी है । शाह ने किसान नेताओं को सड़क जाम समाप्त कर बुराड़ी मैदान में आकर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने का प्रस्ताव दिया था और कहा था कि इस व्यवस्था के लागू होने पर अगले ही दिन किसानों के साथ बातचीत की जाएगी ।
किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि किसान संगठन बातचीत के लिए सरकार की किसी भी शर्त को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।कल किसान संगठनों की बैठक हुई जिसमें पंजाब के 20 से अधिक किसान संगठनों ने आंदोलन स्थल पर ही बातचीत करने पर जोर दिया ।
तोमर ने कहा है कि सरकार किसानों के साथ खुले मन से बातचीत करना चाहती हैं और कृषि सुधार कानूनों का कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएस पी) से कोई लेना देना नहीं है। सरकार ने पहले ही किसान संगठनों को तीन दिसंबर को बातचीत का आमंत्रण दिया है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा था कि कृषि सुधार कानूनों से किसानों को नए अधिकार और अवसर मिले हैं । संसद ने काफी बिचर विमर्श के बाद कृषि सुधार कानूनों को पारित किया है । इन सुधारों से किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं।
किसान संगठनों के साथ सरकार की पहले भी दो दौर की बातचीत हुई है लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकल सका था। किसान संगठन पिछले दिनों बनाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों को समाप्त करने , एमएसपी को कानूनी दर्जा देने ,आंदोलनकारी किसानों पर दर्ज किए गए मामलो को वापस लेने तथा कई अन्य मांग कर रहे है ।
किसान संगठन दिल्ली की सीमा पर जमे हैं जिससे कई प्रमुख रास्ते पिछले चार दिन से बंद है और बड़ी संख्या में वाहन फंसे हुए हैं ।कुछ किसान संगठन राजधानी के रामलीला मैदान या जंतर मंतर आकर आंदोलन करना चाहते हैं ।
किसान संगठन अपने साथ राशन पानी लेकर आए हैं और लंबे समय तक आंदोलन की तैयारी में हैं ।
इस बीच हरियाणा के खाप पंचायतों ने किसानों के आंदोलन का समर्थन करने तथा आज दिल्ली मार्च करने का निर्णय किया है । खाप पंचायतों की कल हुई बैठक में यह निर्णय किया गया ।