न्यूजीलैंड में रहने वाले प्रवासी भारतीय अवनीश बत्ता अमेरिका में रह रहे अपने बेटे कर्ण बत्ता की शादी करने खासतौर पर भारत आ रहे हैं। पेशे से सॉफ्ट इंजीनियर कर्ण की शादी इसी फरवरी में मूलरूप से चिले (दक्षिणी अमेरिका) की रहने वाली मारिया से हो रही है। अवनीश का कहना ह, ‘चाहे हम न्यूजीलैंड में रहें और कर्ण अमेरिका में लेकिन हमारे लिए शादी एक पवित्र बंधन है। मैं चाहता हूं कि बेटे की शादी धार्मिक रीत-रिवाज और परंपराओं से हों। हमारे सभी बुजुर्ग दूल्हा-दुल्हन को आर्शीवाद दे सकें और हम सभी रिश्तेदारों-दोस्तों की मौजूदगी में अपनी रस्में करें। यही एक बड़ी वजह है कि हम भारत आकर शादी कर रहे हैं।’ बकौल अवनीश बत्ता प्रवासी भारतीयों के भारत आकर शादी करने की यह अहम वजह है।
प्रवासी भारतीयों विदेश में चाहे कितना ही पाश्चात्य रहन-सहन हो लेकिन अधिकतर परिवार भारत आकर परंपरागत तरीके से ही शादी करना चाहते हैं। भारत में प्रतिवर्ष शादी का बाजार 38 अरब डॉलर का जो अमेरिका से डेढ़ गुना बड़ा है। यह बाजार प्रतिवर्ष 20 फीसदी की दर से फैल रहा है। एनआरआई शादियों में लिबास से लेकर हर रस्म में पश्चिमी और पारंपरिक रिवाजों का मिलन रहता है। जैसे कर्ण बत्ता कहते हैं, ‘मारिया भारतीय परंपरानुसार शादी का लंहगा-चोली और चूड़ा-कलीरे पहनने के लिए काफी उत्सुक है। हमने शादी की कुछ शॉपिंग न्यूजीलैंड से की है लेकिन शादी का जोड़ा और गहनें चंडीगढ़ और लुधियाना से खरीदेंगे।’
डिजाइनर डेन की क्रिएटिव हैड सना चांदना दिल्ली की मशहूर ड्रेस डिजाइनर हैं, जो प्रति वर्ष कई ब्राइडल फैशन शो आयोजित करती हैं। वह बताती हैं ‘एनआरआई शादी यानी सारी रस्में, लिबास, गहनें बॉलीवुड स्टाइल में होने चाहिए। एनआरआई के लिए शादी का फैशन बॉलीवुड दायरे तक सिमटा है। हर किसी को माधुरी दीक्षित, एश्वर्या रॉय और करीना कपूर जैसी ड्रेसेज चाहिए।’ सना का कहना है वह हम उन ड्रेस को कॉपी तो नहीं करती हैं लेकिन उन्हें एनआरआई दुल्हन और उनके रिश्तेदारों को उस जैसा ही कुछ देना पड़ता है। उनके लिए बजट की कोई दिक्कत नहीं होती है। सना कहती हैं ‘एनआरआई 20,000 से तीन लाख रुपये तक का सूट-लहंगा आराम से खरीद लेते हैं।’ कपड़ों की खरीदारी के लिए वह ड्रेस डिजाइनर से पहले ही मेल और वॉट्सएप के जरिये डिजाइन और बजट का अंदाजा ले लेती हैं। ज्यादातर एनआरआई शादियों में सितारा और स्टोन वर्क का चलन कम रहता है। दबे काम की कारीगरी वाले कपड़े ज्यादा पसंद किए जाते हैं। एक दम हल्के रंग या भडक़ीले रंग को प्राथमिकता दी जाती है। आजकल एनआरआई दुल्हनें में साड़ी कम गाउन पसंद करती हैं।
बड़े बजट की शादियों में पेश आने वाली समस्याओं का एक ही जगह समाधान करते हैं बॉलीवुड शादी डॉटकॉम के फांउडर अर्पूव कालरा। वह कहते हैं कि अगर प्रवासी भारतीय अपने शहर में शादी नहीं करना चाहते हैं तो वे शादी के लिए जयपुर, जोधपुर, उदयपुर या गोवा को चुनते हैं। इसे डेस्टिनेशन वेडिंग यानि गंतव्य विवाग कहते हैं। अपूर्व कालरा का कहना है कि एनआरआई के भारत आकर शादियां करने की मुख्य वजह धार्मिक मान्यताएं है। उन्हें लगता है कि भारत में धार्मिक रीत-रिवाज पूरे विधि-विधान से होंगे। वे उनमें कोई समझौता नहीं करते। दूसरा,भारत में विदेश के मुकाबले कम बजट में उनकी पसंद की शाही शादी हो जाती है। यहां उन्हें शादी के खाने का मूल स्वाद मिल जाता है। शादी के इंतजामात करने वाले भरोसे के लोग आसानी से हासिल हो जाते हैं। कालरा की सबसे यादगार एक शादी है जिसमें कैलेफोर्निया के एक व्यापारी एनआरआई ने राजस्थान आकर शादी की थी। यह शादी लगभग चार करोड़ रुपये में हुई। इसमें मेंहदी, संगीत और शादी की रस्म जोधपुर, जयपुर और उदयपुर में की गई। राजसी ठाठ-बाठ वाले इस समारोह में शादी की यादें समेटती मूवी भी किसी फिल्मी कहानी की तरह बनी। जिसमें एक्शन, ड्रामा और रोमांस था। ऐसी शादियों की सिर्फ फोटोग्राफी का बजट ही 20 से 30 लाख रुपये रहता है। कालरा का कहना है कि कई एनआरआई शादियां राजस्थान में करना पसंद करते हैं। राजस्थान में किलों में रॉयल शादी का उनका सपना पूरा हो जाता है। राजस्थान आकर शादी करने की वजह पर उदयपुर के रमाडा रिसॉर्ट के मैनेजर रचित बताते हैं ‘राजस्थान अभी भी पूरी तरह परंपरागत है, राजसी शान-ओ-शौकत की कई ईमारते हैं, यहां भडक़ीले रंग जिंदा हैं।’ राजस्थान में झीलों का शहर उदयपुर शादियों के लिए हॉट डेस्टिनेशन है। राजस्थान में खाने में राजस्थानी, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय क्वीसन रहता है।
अपूर्व कालरा बताते हैं कि एनआरआई शादियों में पूरी तरह से बॉलीवुड फैशन चलता है। दुल्हे भी सजने में दुल्हन से कहीं कम नहीं रहते। सभी को शाहरुख खान और सलमान खान जैसा सजना है। लडक़े वालों की शादी में सभी पुरुष गले में लाल या महरून रंग का राजस्थानी दुपट्टा और एक जैसी पगडिय़ां पहनेंगे, यह फैशन बॉलीवुड से आया है। अब लडक़े टेक्सीडो सूट, जोधपुरी सूट, शेरवानी या कुर्ता पायजामा पहनना पसंद करते हैं। एनआरआई शादियों में कई दुल्हन शादी से पहले मनोवैज्ञानिक मशविरा भी लेती हैं। इसके अलावा तरह-तरह के ब्यूटी ट्रीटमेंट्स, बिकनी वैक्स आदि आम बात है। शादी की ज्यादातर शॉपिंग दिल्ली में चांदनीचौक, लुधियाना, जालंधर और जयपुर से होती है। इसके अलावा दिल्ली में एक डीएलएफ मॉल है। पूरे मॉल में सिर्फ शादी का सामान ही मिलता है। अगर कोई भटकना नहीं चाहता हो तो वे एक ही जगह से तमाम शॉपिंग कर लेता है।
कई एनआरआई शादियों में पश्चिमी सभ्यता के अनुसार दूल्हा-दुल्हन भाषण भी देते हैं,जिसमें होता है कि वे लोग कैसे मिले या कैसे उनका प्रेम परवान चढ़ा। बाकायदा कोरियोग्राफर पूरे परिवार को बॉलीवुड के गानों पर डांस सिखाता है। संगीत वाले दिन सभी स्टेज पर परफॉर्म करते हैं। कई शादियों में फिल्मी हस्तियां भी रौनक लगाती हैं। थीम शादियों का भी चलन है। रिसेप्शन में अगर दूल्हा-दुल्हन गुलाबी रंग का लिबास पहनते हैं तो सारी सजावट गुलाबी रंग में होती है। कुॢसयां पर गुलाबी रिबन बांध दिया जाता है। आजकल गुलाबी, मोरपंखी रंग , बैंगनी, हरे और नीले रंग का चलन है। इसी रंग के फूल, लाइट्स, कपड़े समारोह को खुशगवार बना देते हैं। शादी के बाद बारी आती है हनीमून की। एशियन एडवेंचर रुप के निदेशक मोहित अग्रवाल का कहना है कि एनआरआई आमतौर पर चार धान की यात्रा करते हैं। भगवान के दर्शनों के अलावा हनीमून भी हो जाता है। अग्रवाल के अनुसार जैसे बद्रीनाथ पहाड़ों में हैं, द्वारका जाने के बाद वे गोवा निकल जाते हैं, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम दर्शन के बाद बीच पर रोमांटिक लम्हे बिताते हैं। इसके अलावा केरल में बैकवाटर, राजस्थान में जैसलमेर,जोधपुर,जयपुर और अजमेर शरीफ,अमृतसर में स्वर्ण मंदिर जाना भी पसंद करते हैं।
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शादी फैशन शो और दुल्हन शो-स्टॉपर
दिल्ली की जानीमानी ब्राइडल फैशन डिजाइनर और डेन डिजाइनर की क्रिएटिव हैड सना चांदना की डिजाइन की हुई पोशाकें देश-विदेश तक जाती हैं। वह बताती हैं ‘फरवरी में मेरी भी शादी है। अब मुझे समझ आ रहा है कि हर दुल्हन सबसे अलग दिखना चाहती है।’ दुल्हन के लिबास पर प्रमुख संवाददाता मनीषा भल्ला ने उनसे बात की:
पहले की बजाय अब दुल्हन कितना बदल गई है?
एक्साएटमेंट रहता है कि दुल्हन अलग दिखे। पहले दुल्हन का लंहगा खरीदने सारा खानदान आता था। अब दुल्हन खुद आती है और चाहती है, जो वो पहन रही है उसका उसे और मॉम के अलावा किसी को पता न हो।
रंगों में क्या बदलवा आया है?
अब लाल, मरून, मजंटा रंग के जमाने गए। अब दुल्हन गोल्ड, नीला, मोरपंख,यहां तक काला रंग मांगती हैं।
ड्रेस में क्या ट्रेंड बदला है?
आजकल इंडियन गाउन, साड़ी कम लंहगा, लंहगे पर लंबा जैकेट का रिवाज है।
स्टाइल में क्या बदलाव आया है?
वह दिन गए जब दुल्हन माथे तक घूंघट करती थी। अब हेयर एक्सेसरीज हैं कि पल्लू सिर पर रखने का रिवाज नहीं रहा। यहां तक कि हिंदू लड़कियां बालों पर झूमर या राजस्थानी बोरला लगाने लगी हैं। सिर्फ मेकअप पर 50,000 तक खर्च होने लगा है। अब दुल्हन हमसे ड्रेस डिजाइनिंग के अलावा बालों से पांव तक स्टाइल बनवाने लगी हैं। ड्रेस के साथ मैङ्क्षचग क्लच, सैंडिल आदि सब चाहिए।
दुल्हन के परिवार की ड्रेस डिजाइन करने में दिक्कत आती होगी?
हमारे लिए शादी फैशन शो है लेकिन दुल्हन शो-स्टॉपर।
मिडल क्लास की दुल्हन भी डिजाइन करवाती है क्या?
दुल्हन मिडल या हायर क्लास की नहीं होती। दुल्हन दुल्हन होती है। हर आदमी अपनी बेटी को अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च कर सुंदर दिखाना चाहता है।
छोटे कस्बों से आते हैं?
हां हमारे पास छोटे कस्बों के अमीर लोग आते हैं। नेट के जरिये हर फैशन उन्हें पता होता है। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बहुत लोग आने लगे हैं।
इंटरनेट की दुनिया में डिजाइन चोरी होना आम बात है,यह नुकसान नहीं है?
मैं इसे रोक नहीं सकती। मेरा डिजाइन अगर 100 लोगों तक पहुंच रहा है तो मैं उससे आगे जाकर और सोचूंगी। अगर डिजाइन ऑरिजनल है तो मैं 100 उससे अच्छे और डिजाइन बना सकती हूं। इससे मेरी क्रिएटिविटी बढ़ती है।