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करुणानिधि के अंतिम दर्शन के दौरान भगदड़, 2 लोगों की मौत, 33 घायल

तमिलनाडु में 94 वर्षीय डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि का मंगलवार को चेन्नै के कावेरी अस्पताल में निधन हो...
करुणानिधि के अंतिम दर्शन के दौरान भगदड़, 2 लोगों की मौत, 33 घायल

तमिलनाडु में 94 वर्षीय डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि का मंगलवार को चेन्नै के कावेरी अस्पताल में निधन हो गया। इनका पार्थिव शरीर चेन्नै के राजाजी हॉल में रखा गया है जहां उन्हें श्रद्धाजंलि देने वालों का सैलाब उमड़ पड़ा है। 

राजाजी हॉल में अंतिम दर्शन के दौरान भगदड़ मच गई। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक भगदड़ में 33 लोग घायल हुए हैं। भगदड़ में दो लोगों की मौत हो गई है। सभी को अस्पताल ले जाया गया है। भगदड़ के बात करुणानिधि के शव को हॉल के अंदर ले जाया गया है।

राजाजी हॉल के बाहर जमा भीड़ को संबोधित करते हुए एम.के. स्टालिन ने कहा कि वह चाहते हैं कि किसी भी तरह की हिंसा ना हो। उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस तरह मरीना बीच पर जमीन देने से मना किया है, वह माहौल को बिगाड़ना चाहती है।

राहुल-मोदी ने दी श्रद्धांजलि 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी फिल्म स्टार रजनीकांत, केरल के पूर्व सीएम ओमान चांडी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी और उपमुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम, राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित सहित कई बड़े नेताओं ने उन्हें यहां श्रद्धाजंलि दी है।

वहीं, करुणानिधि के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत तमाम नेताओं ने दुख जताया है।

कोर्ट का फैसला-  मरीना बीच पर ही होगा अंतिम संस्कार

करुणानिधि के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार को लेकर भी विवाद हुआ। करुणानिधि की पार्टी और उनके समर्थकों ने मांग की कि उन्हें चेन्नई के मशहूर मरीना बीच पर दफनाया जाए और उनका समाधि स्थल भी बने। लेकिन तमिलनाडु सरकार ने ऐसा करने से इनकार किया। इसी लेकर मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मद्रास हाईकोर्ट ने मरीना बीच पर ही करुणानिधि के अंतिम संस्कार की अनुमति दे दी है।

सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार ने डीएमके की मांग के खिलाफ हलफनामा दिया कि सरकार की ओर से कहा गया है कि हमने दो एकड़ जमीन और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने का वादा किया है।

दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट में पिछले साल डाली गई सभी 6 याचिकाओं को खारिज किया गया है। इन याचिकाओं में मरीना बीच पर किसी भी तरह के समाधि स्थल बनाने का विरोध किया गया था।

स्टालिन ने मांगी थी मरीना बीच में जगह

द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने मुख्यमंत्री के पलानीसामी से पत्र लिखकर करुणानिधि के लंबे सार्वजनिक जीवन को देखते हुए उनकी अंत्येष्टि के लिए सीएन अन्नादुरई के मरीना बीच स्थित स्मारक के अंदर जगह देने की मांग की थी। स्टालिन ने अपने पिता के निधन से कुछ घंटे पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की थी।

बाद में सरकार ने बयान जारी कर कहा कि मद्रास हाइकोर्ट में चल रहे कई केस और अन्य कानूनी अड़चनों की वजह से मरीना बीच पर जगह नहीं दी जा सकती। बयान में कहा गया कि सरकार राजाजी और कामराज के स्मारकों के पास सरदार पटेल रोड पर दो एकड़ जमीन देने को तैयार है।

कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा जा रहा है कि करुणानिधि चूंकि अभी मुख्यमंत्री नहीं थे इस कारण सरकार मरीना बीच पर जगह नहीं देना चाहती थी। पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन और जे जयललिता का अंतिम संस्कार मरीना बीच पर ही हुआ था और इनके स्मारक भी यहीं बने हुए हैं।

मोदी बोले- खो दिया महान जननेता, राहुल ने बताया भारत का महान सपूत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि हमने महान जननेता खो दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भारत ने अपने महान सपूत को खो दिया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीसामी ने कहा कि करुणानिधि का जाना दुखद है। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने राजनीति, सिनेमा और साहित्य के क्षेत्रों में योगदान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कई ट्वीट कर करुणानिधि के निधन पर शोक जताया और उन्हें क्षेत्रीय आकांक्षाओं और देश की प्रगति के लिए खड़े होने वाला जमीन से जुड़ा जननेता बताया। उन्होंने प्रत्येक ट्वीट के साथ करूणानिधि और अपनी तस्वीरें भी साझा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि करुणानिधि के निधन से बहुत शोकाकुल हूं। वह भारत के वरिष्ठतम नेताओं में से एक थे। वह क्षेत्रीय आकांक्षाओं सहित देश की प्रगति के लिए भी खड़े रहे। वह हमेशा तमिलों के कल्याण के प्रति समर्पित रहे और सुनिश्चित किया कि तमिलनाडु की आवाज प्रभावकारी तरीके से सुनी जाए।

मोदी ने कहा कि उन्हें कई मौकों पर करुणानिधि से बातचीत करने का मौका मिला और नीतियों की उनकी समझ तथा सामाजिक कल्याण पर उनका जोर, लीक से हटकर था। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह लोकतांत्रिक विचारों के प्रति समर्पित थे और आपातकाल के खिलाफ उनके कड़े विरोध को हमेशा याद रखा जाएगा। मोदी ने कहा कि हमने जमीन से जुड़े एक ऐसे जननेता, राजनीतिक विचारक, अनुभवी लेखक और राजनेता को खोया है जिनका जीवन गरीबों और वंचित तबकों के कल्याण को समर्पित था।

उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के सदस्यों और करुणानिधि जी के असंख्य समर्थकों के साथ हैं। भारत और खास तौर से तमिलनाडु के लोग उन्हें बहुत याद करेंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि छह दशक तक तमिलनाडु का राजनीति में विशाल व्यक्तित्व के रूप में छाए रहने वाले करुणानिधि का निधन काफी दुखद है। भारत ने अपना महान सपूत खो दिया। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ और उन्हें चाहने वाले लाखों भारतीयों के साथ है।

14 साल की उम्र में राजनीति में किया था प्रवेश

करुणानिधि 1924 में तमिलनाडु के थिरुक्कुवालाई गांव में पैदा हुए थे। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।

जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी के एक भाषण से प्रेरित होकर करुणानिधि ने 14 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया और हिंदी विरोधी आंदोलन में भाग लिया। वह पेरियार के विचारों से भी प्रभावित थे। उन्होंने अपने इलाके के स्थानीय युवाओं के लिए एक संगठन की स्थापना की। उन्होंने इसके सदस्यों को मनावर नेसन नामक एक हस्तलिखित अखबार परिचालित किया। बाद में उन्होंने तमिलनाडु तमिल मनावर मंद्रम नामक एक छात्र संगठन की स्थापना की जो द्रविड़ आन्दोलन का पहला छात्र विंग था। करूणानिधि ने अन्य सदस्यों के साथ छात्र समुदाय और खुद को भी सामाजिक कार्य में शामिल कर लिया।

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